केंद्र सरकार की सलाह के विपरीत उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी निजी बिजली संयंत्रों को कोयला आयात न करने के लिए कहा है। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) ने स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (आईपीपी) को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि वे अपने प्लांट में घरेलू कोयले के साथ आयातित कोयला मिश्रित करने के लिए कोयले का आयात न करें।
इन स्वतंत्र बिजली उत्पादकों में रिलायंस पावर, बजाज हिंदुस्तान ग्रुप और लेंको शामिल हैं। राज्य में बिजली सप्लाई करने वाली चार अन्य निजी कंपनियों आरकेएम पावरजेन, केएसके महानदी, टीआरएन और एमबी पावर को भी कोयले का आयात न करने के लिए कहा गया है।
इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने यूपी राज्य विद्युत उत्पादन निगम के ताप बिजली घरों के लिए कोयला आयात नहीं करने का फैसला किया था, जबकि इन बिजली घरों के लिए कोयले के संकट को देखते हुए केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने सभी राज्यों से कोयले का आयात करने को कहा था।
उत्तर प्रदेश सरकार का निर्देश आने से पहले राज्य के स्वतंत्र बिजली उत्पादकों ने कोयला आयात करने का टेंडर जारी कर दिया था ताकि बिजली उत्पादन में किसी तरह की बाधा ना आए। गर्मियों में बिजली की अधिक मांग को देखते हुए इन संयंत्रों में कोयले का स्टॉक तेजी से खत्म हो रहा है। एक सूत्र ने बताया कि राज्य की बिजली वितरण कंपनियों को आपूर्ति करने वाले संयंत्रों को अपना टेंडर निरस्त करना पड़ेगा।
इससे पहले उत्तर प्रदेश के एक बिजली उपभोक्ता और एक्टिविस्ट अवधेश कुमार वर्मा ने राज्य के सरकारी और निजी बिजली संयंत्रों द्वारा कोयले के आयात पर रोक लगाने की मांग की थी। उनका दावा था कि घरेलू कोयले में 10 फ़ीसदी आयातित कोयला मिश्रित करने पर लागत 11000 करोड़ रुपए बढ़ जाएगी। इससे बिजली की कीमत एक रुपया प्रति यूनिट बढ़ेगी। वर्मा के अनुसार इसका बोझ उत्तर प्रदेश के तीन करोड़ बिजली उपभोक्ताओं पर आएगा।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश देश में सबसे महंगी बिजली वाले राज्यों में शामिल है। फिलहाल योगी आदित्यनाथ सरकार बिजली की कीमत नहीं बढ़ाना चाहती इसलिए उसने कोयला आयात नहीं करने का फैसला किया है। बिजली संकट के एक समाधान के तौर पर यूपीपीसीएल दो रणनीतियों पर काम कर रही है। पहला, बिजली सप्लाई का रोस्टर यानी शेड्यूल तैयार करना और दूसरा, एक्सचेंज से अतिरिक्त बिजली खरीदना।
इस बीच ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने केंद्रीय बिजली मंत्रालय से आग्रह किया है कि वह 28 अप्रैल को जारी अपना निर्देश वापस ले जिसमें राज्यों को कोयला आयात करने के लिए कहा गया था। फेडरेशन का कहना है कि अगर राज्यों को कोयला आयात करने के लिए बाध्य किया जाता है तो अतिरिक्त लागत का बोझ केंद्र सरकार उठाए। इसका बोझ बिजली वितरण कंपनियों और उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ना चाहिए।