चंडीगढ़ में किसान नेताओं के साथ हुई बैठक के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 30 सितंबर तक कृषि नीति सार्वजनिक करने की घोषणा की है। गुरुवार को हुई बैठक में कृषि नीति समते किसानों के अन्य पर चर्चा हुई। जिसमें कई मांगों पर सहमति भी बनी। किसानों ने दावा किया है कि सरकार ने उनकी अधिकतर मांगें मान ली हैं और किसानों के कर्ज माफी को लेकर भी सरकार जल्द नीति लाएगी। मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद पिछले पांच दिनों से चंडीगढ़ में धरना दे रहे किसानों ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया।
किसान संगठनों की ओर जारी संयुक्त प्रेस विज्ञपति के अनुसार, गुरुवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ किसान संगठनों की एक लंबी बैठक हुई । जिसका मुख्य उद्देश्य पंजाब सरकार द्वारा तैयार की गई 1600 पन्नों की कृषि नीति पर चर्चा करना था। सरकार ने वादा किया है कि 30 सितंबर तक कृषि नीति का ड्राफ्ट दोनों संगठनों को सौंप दिया जाएगा, जिसके बाद दो हफ्तों में फीडबैक के लिए फिर से बैठक होगी।
कृषि नीति के अलावा, किसानों और मजदूरों की कई अन्य महत्वपूर्ण मांगों पर भी चर्चा हुई। इनमें भूमि बंधक बैंकों और सहकारी बैंकों के ऋणों का निपटारा, खेत मजदूरों को सहकारी समितियों का सदस्य बनाकर ऋण उपलब्ध कराना, गांवों में दस एकड़ तक की नजूल भूमि पर मजदूरों को मालिकाना हक देना, और 2010 के बाद आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देना शामिल था।
इसके अलावा, किसानों से पाइप और नहरों के लिए लिया जाने वाला 10 फीसदी शुल्क खत्म करने, प्लॉट काटने पर रोक लगाने, फैक्ट्रियों से प्रदूषित पानी को नदियों में छोड़ने से रोकने जैसी मांगों पर भी सहमति बनी। बठिंडा के घुदा गांव में जली हुई गेहूं के लिए 50 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा और रायके कलां में मरे हुए पशुओं के लिए 30 सितंबर तक मुआवजा देने की घोषणा भी हुई।
बैठक के बाद किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां और अन्य नेताओं ने कहा कि वह कृषि नीति पर सरकार के साथ सकारात्मक चर्चा करने में सफल रहे हैं। आज सेक्टर 34 में सभी किसान बैठक करेंगे, जहां सरकार के दिए गए प्रस्ताव की समीक्षा की जाएगी। समीक्षा के बाद, किसान आगे की रणनीति पर निर्णय लेंगे।