कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का दावा है कि सरकार किसानों से अरहर, उड़द और मसूर की शत-प्रतिशत खरीद करेगी। किसान ये दालें जितनी भी पैदा करेंगे, सरकार पूरा खरीदेगी। इसके लिए ई-समृद्धि पोर्टल बनाया गया है, जिस पर किसानों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा और सरकार पूरी उपज खरीदेगी। शुक्रवार को राज्यसभा में भी कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह भरोसा दिलाया।
लेकिन कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह राज्य मध्य प्रदेश में ही किसान मूंग की उपज बेचने के लिए परेशान हैं। इस साल मध्य प्रदेश में मूंग की अच्छी पैदावार हुई, लेकिन बाजार में मूंग के दाम एमएसपी से नीचे चल रहे हैं। ऐसे में किसानों की आस सरकारी खरीद पर टीकी थी। मध्य प्रदेश में मूंग की खरीद 24 जून से शुरू करने का ऐलान किया गया था। तब राज्य सरकार ने कहा था कि मूंग की खरीद 31 जुलाई तक होगी। लेकिन सरकार ने अंतिम तिथि से एक सप्ताह पहले ही मूंग की खरीद बंद कर दी। इससे बहुत से किसान मूंग की तुलाई करवाने से वंचित रह गये हैं। इससे नाराज किसान खरीद दोबारा शुरू करवाने की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष केदार शंकर सिरोही का कहना है कि अभी तक राज्य में मूंग के कुल उत्पादन का 17 फीसदी ही सरकार द्वारा खरीदा गया है। पहले खरीद शुरू करने में देरी हुई। फिर साफ्टवेयर में दिक्कत के कारण किसानों को रजिस्ट्रेशन, स्लॉट बुकिंग और बिलिंग में समस्याएं आईं। इस कारण तुलाई कार्य धीरे चला। सिरोही का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार ने कुल पंजीकृत किसानों की संख्या और पंजीकृत रकबे की जानकारी सार्वजनिक नहीं है, जिससे छूटे हुए किसानों की संख्या का अनुमान लगाना कठिन है। लेकिन प्रदेश में बड़ी संख्या में किसान मूंग की तुलाई करवाने से वंचित रह गये हैं।
मूंग खरीद में आईं कई दिक्कतें
खरीद समय से पहले बंद होने के अलावा भी मध्य प्रदेश में किसानों को मूंग की तुलवाने में कई दिक्कतें आईं। शुरुआत में किसानों पर 8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की लिमिट लगाई गई थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 12 क्विंटल किया गया। इसी तरह किसानेां पर प्रतिदिन अधिकतम 25 क्विंटल मूंग तुलाई की लिमिट थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 40 क्विंटल प्रतिदिन किया गया था। इन पाबंदियों के चलते भी बहुत से किसान समय रहे अपनी पूरी मूंग की तुलाई नहीं करवा पाए। विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार से मूंग की खरीद तुरंत चालू करने और सभी किसानों से मूंग की खरीद पूरी करने की मांग की है।
इस साल भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने प्राइस स्टेबलाजेशन स्कीम (पीएसएस) के तहत मध्य प्रदेश में 3.30 लाख टन मूंग खरीद को मंजूरी दी थी। इसमें से 2.25 लाख टन मूंग की खरीद 21 जुलाई तक हो चुकी थी। इसे देखते हुए नेफेड ने मध्य प्रदेश सरकार की एजेंसी मार्कफेड को मूंग की खरीद बंद करने को कहा था। अब देखना है कि क्या मध्य प्रदेश में किसानों से मूंग की खरीद दोबारा शुरू हो पाती है या फिर शत-प्रतिशत खरीद का दावा मूंग के मामले में फेल हो जाएगा।