पंजाब में स्कूली बच्चों को मिड-डे मील में हर सप्ताह केला दिया जाएगा। पंजाब राज्य मिड-डे मील सोसाइटी ने यूकेजी से आठवीं कक्षा के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में लगभग 19 लाख छात्रों को साप्ताहिक रूप से केला देने का फैसला किया है। मिड-डे मील में फलों और पौष्टिक आहार को शामिल करने के अभिभावकों और शिक्षकों के सुझाव के बाद यह निर्णय लिया गया। स्कूलों में छात्रों को परोसे जाने वाले भोजन के मेन्यू में काले चने, कढ़ी और राजमा चावल को भी शामिल किया गया है।
केंद्र सरकार के निर्देश पर पंजाब सरकार के शिक्षा विभाग ने मिड-डे मील योजना को लेकर राज्य के 10 जिलों में पंजाब यूनिवर्सिटी से सोशल ऑडिट करवाया था। इस दौरान हुई जन सुनवाई में अभिभावकों और शिक्षकों ने दोपहर भोजन में फलों और पौष्टिक आहार को शामिल करने का सुझाव दिया था। शिक्षा विभाग ने जनवरी से मार्च महीने के लिए मिड-डे मील का नया मेन्यू जारी किया है। छात्रों को हर सोमवार को केला देने के लिए राज्य सरकार स्कूलों को 5 रुपये प्रति केला के हिसाब से फंड जारी करेगी। योजना के तहत, छात्रों को पका भोजन प्रदान किया जाता है, जिसके लिए केंद्र सरकार द्वारा खाद्यान्न (चावल और गेहूं) उपलब्ध कराया जाता है। खाना पकाने की लागत केंद्र और राज्य सरकार 60:40 के अनुपात में साझा करती हैं।
मिड-डे मील में गाजर और अंडे की मांग
मिड-डे मील में केले को शामिल करने के बाद अब गाजर को शामिल करने की मांग भी उठ रही है। भारत कृषक समाज के अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ ने ट्विट किया कि मिड-डे मील में अन्य राज्यों से आयात होने वाले केले के बजाय पंजाब में पैदा होने वाली गाजरें उपलब्ध करानी चाहिए। आर्थिक रूप से यह ज्यादा उचित है। इससे गाजर उत्पादन के हब अबोहर को फायदा होगा। जाखड़ का कहना है कि उन महीनों में केले दे सकते हैं जब गाजर या अन्य स्थानीय फल और सब्जियां उपलब्ध नहीं हैं। मिड-डे मील में गाजर देने से प्रति माह 40,000 से अधिक मानव दिनों का रोजगार पैदा होगा। इससे बचाए गए धन का उपयोग अन्य अच्छे उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
अजय वीर जाखड़ ने अबोहर के विधायक संदीप जाखड़ से इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री भगवंत मान और संबंधित विभागों से बात करने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि कृषि के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश होने के बावजूद पंजाब में फलों के निर्यात से ज्यादा आयात होता है। उन्होंने मिड-डे मील में गांव के छोटे और भूमिहीन किसानों की पोल्ट्री से खरीदे गए अंडे उपलब्ध कराने का भी सुझाव दिया है।