हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव की हलचल के बीच सेब बागवान अपनी समस्याओं को लेकर राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को घेरने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस पर सेब उत्पादकों के मुद्दों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए संयुक्त किसान मंच ने दोनों दलों के उम्मीदवारों को अपने सवालों से घेरने का फैसला किया है।
संयुक्त किसान मंच का आरोप है कि प्रदेश के सांसदों ने पांच साल सेब बागवानों का मुद्दा लोकसभा में नहीं उठाया। जब प्रत्याशी वोट मांगने आएंगे तो उनसे इस बाबत सवाल पूछे जाएंगे कि बागवानों की समस्याओं को लेकर आपने क्या किया। हिमाचल प्रदेश के किसान विदेशी सेब के आयात और जीएसटी समेत कई मांगों को लेकर राजनीतिक दलों के रवैये से नाराज है।
संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने रूरल वॉयस को बताया कि विदेशी सेब पर आयात शुल्क न बढ़ने के कारण भारी मात्रा में अमेरिका समेत कई देशों से सेब का आयात हो रहा है जिससे हिमाचल के सेब उत्पादकों को नुकसान पहुंच रहा है। बागवान सरकार से सेब पर 100 फीसदी आयात शुल्क 100 लगाने की मांग कर रहे हैं, मगर केंद्र सरकार ने आयात शुल्क नहीं बढ़ाया। सेब और अन्य फलों की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले बॉक्स और बागवानी उपकरणों पर जीएसटी खत्म करने की मांग भी पूरी नहीं हुई।
हरीश चौहान का कहना है कि जिस तरह कोरोना काल में जम्मू-कश्मीर में नेफेड के माध्यम से ए ग्रेड सेब 60 रुपये, बी ग्रेड 44 और सी ग्रेड 24 रुपये किलोग्राम की दर से खरीद हुई थी, उसी तर्ज पर अब तीनों सेब उत्पादक राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से ए ग्रेड सेब 80 रुपये, बी ग्रेड 60 रुपये और सी ग्रेड 45 रुपये किलोग्राम की दर से खरीद की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने हिमालयी राज्यों में कृषि और बागवानी के विकास के लिए हिल स्टेट हॉर्टिकल्चर फोरम के माध्यम से बागवानी से जुड़े मुद्दा के समाधान पर जोर दिया है।
हिमाचल प्रदेश की राजनीति में सेब बागवान काफी प्रभाव रखते हैं। पिछले दो लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी चार सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। लेकिन संयुक्त किसान मंच का मानना है कि सेब बागवानों की समस्याओं को संसद में उठाने में हिमाचल प्रदेश के सांसद नाकाम रहे हैं। इसलिए अब चुनाव में वोट मांगने वाले उम्मीदवारों से सवाल उठाए जाएंगे।
भारत में अमेरिका के अलावा ईरान, अफगानिस्तान, न्यूजीलैंड, चिली और ब्राजील से सेब का आयात होता है। ईरान का सेब अफगानिस्तान के रास्ते बिना शुल्क चुकाए भी भारत में पहुंच रहा है। साफ्टा (दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र) के चलते बिना शुल्क चुकाए अफगानिस्तान के रास्ते ईरानी सेब भारत पहुंचता है। इसके अलावा चाइना सेब भी नेपाल के रास्ते भारत में अवैध रूप से आता है। इससे घरेलू सेब उत्पादकों को नुकसान उठाना पड़ता है।