हिमाचल प्रदेश में सेब की फसल पर मौसम की मार पड़ रही है। प्रदेश में हो रही भारी बारिश ने सेब की फसल को नुकसान पहुंचाया है। पहले ही भीषण गर्मी और सूखे की समस्या से जूझ रहे बागवान अब मानसून की बारिश से परेशान हैं। शिमला जिले के प्रमुख सेब उत्पादक क्षेत्रों में बुधवार को आई बारिश और तूफान से सेब की फसल को भारी नुकसान हुआ है। ऊपरी शिमला के जुब्बल, रोहड़ू, कोटखाई, चौपाल, रामपुर, ठियोग समेत कई क्षेत्रों में तेज तूफान के चलते सेब झड़ गए और टहनियां टूट गईं। इससे बागवानों पर दोहरी मार पड़ी है। कई स्थानों पर तो सेब के पेड़ ही गिर गए हैं।
हिमाचल प्रदेश सब्जी और फल उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने रूरल वॉयस को बताया कि शिमला जिले के कई क्षेत्रों में तूफान के कारण बगीचों में पौधे उखड़ गए हैं और हेलनेट भी पूरी तरह से टूट गए हैं। उन्होंने कहा कि इस तूफान ने सेब की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है। अधिकतर बगीचों में फल गिरने से बागवान चिंतित हैं और खेत में सेब के ढेर लग गए हैं। उन्होंने कहा कि बागवान पहले ही भीषण गर्मी और सूखे की मार झेल रहे थे, और अब इस तूफान ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है।
हरीश चौहान ने कहा कि बागवानों को हर तरफ से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पहले, समय पर बारिश न होने के कारण सेब के आकार और रंग पर असर पड़ा। फिर, रोहडू, कोटखाई, जुब्बल और ठियोग में 70 से 80 फीसदी पौधों में अल्टरनेरिया लगने से सेब पर भूरे और काले दाग पड़ने लगे। इसके चलते फल समय से पहले गिरने लगे, और अब भारी बारिश ने बागवानों की चिंताओं को और बढ़ा दिया है।
हरीश चौहान ने कहा कि पिछले सीजन में भी बागवानों को फसल का उचित दाम नहीं मिल पाया था। उस दौरान औसतन 1400 से 1500 रुपये (प्रति बॉक्स) के बीच किसानों का सेब बिका था। साथ ही, ईरान और तुर्की जैसे देशों से आयात होने वाले सेब ने भी प्रदेश की बागवानी पर असर डाला है, जिससे बागवानों को अपनी फसल घाटे में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने प्रदेश सरकार से बागवानों को हुए नुकसान का आकलन कर उन्हें मुआवजा दिए जाने की मांग उठाई है।