लखनऊ, 12 मई
कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौर में जहां खरीदार थोक औऱ फुटकर बाजार में जाने से कतरा रहे है । इस परिस्थिति मे जब पेड़ो पर पक रहे आम की उपज को अगले महीने से आम उद्यमी किसान ऑन लाइन मार्केटिंग के जरिए बेचकर होने वाले घाटे को कम कर सकते हैं । पिछले साल 2020 में कोरोना महामारी के चलते आम उत्पादक किसानों को काफी घाटा उठाना पड़ा था.क्योकि इस बीमारी के प्रकोप के काऱण आम के पीक सीजन में देश लाकडाउन में था जिसके चलते आम का व्यापार काफी प्रभावित हुआ था । इस साल भी इस कोरोना की दूसरी लहर के बीच कई राज्यों में लगते लाकडाउन और कर्फ्यू के चलते राहत की कोई उम्मीद नही दिख रही है।
इस दौर में जहां खरीदार थोक औऱ फुटकर बाजार में जाने से बच रहे हैं, वहीं ,इस समय पेड़ों पर आम के फल पक रहे है । आम की उपज को अगले महीने से ग्राहक आनलाइन मार्केटिंग के जरिए मलीहाबाद के आम को खरीदकर रसीले आमों के स्वाद का आन्नद ले सकते है ।
मलीहाबाद लखनऊ जिले की एक ग्रामीण तहसील है, आम के लिए मलीहाबाद और कोकोरी काफी प्रचलित है। यहां की दशहरी आम की किस्म पूरी दुनिया में अपने स्वाद और गुणवत्ता के लिए अपनी एक खास पहचान बनाए हुए है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के लखनऊ के रहमान खेड़ा स्थित संस्थान सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर (सीआईएसएच) ने इस महामारी के दौरान मोबाइल ऐप के माध्यम से आम उत्पादकों को आनलाइन मार्केटिंग करने की जानकारी मुहैया करा रहा है।
सीआईएसएच के निदेशक शैलेन्द्र राजन के अनुसार, मालिहाबादी आम की किस्में उत्तर भारतीय राज्यों में काफी लोकप्रिय हैं। उन्होंने बताया कि जब आम पकने लगेंगे तो लखनऊ वासियों को दशहरी आम के स्वाद का आनंद लेना तो आसान होगा, लेकिन उन्होंने अफसोस जताया कि लखनऊ से दूसरे शहरों में इन आम की किस्मों को पहुंचाना मुश्किल होगा। क्योंकि सामान्य दशा में लखनऊ से आम पेटियों में पैक किए जाते हैं और पार्सल और गाड़ियों से उनके गंतव्य स्थान तक भेजे जाते हैं। लेकिन इस समय शहरों में कोरोना महामारी के चलते, अनिश्चित ट्रेन संचालन और आवागमन प्रतिबंधित होने के कारण आम को पुराने तरीके से भेजना अब मुश्किल होगा ।
शैलेन्द्र राजन ने अपने संस्थान सीआईएसच द्वारा उठाये जा रहे कदमों के बारे में बताया कि लखनऊ के आम की मार्केटिंग के लिए पहली बार मोबाइल ऐप विकसित की गई है । उन्होंने बताया कि इस काम के लिए हमारे संस्थान के एग्रीबिजनेस इनक्यूबेसन सेंटर ने पहल की है । इस ऐप के जरिए आम के ग्राहको से आम उद्यमियों को अच्छी प्रतिकिया मिली । इसके जरिए आम के उद्यमियों को किसान के आम के बाग से लेकर आम के ग्राहक तक की सप्लाई चेन के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला। फलों का चयन, इसकी ग्रेडिंग, पैकेजिंग और वितरण इसमें शामिल है। इसके अलावा आम के सीजन में ग्राहकों की बड़ी संख्या को संभालने के लिए किस तरह का प्रबंधन होना चाहिए । इन सब कार्यों के लिए विशेष अनुभव की आवश्यकता होती है ।
शैलेन्द्र राजन ने बताया कि पिछले साल आम की ऑनलाइन मार्केटिंग लगभग दो महीने तक ही संभव थी। आम के ग्राहक आसानी से आनलाइन आर्डर तो दे देते थे लेकिन पिछले साल दूसरे शहरों तक आम का परिवहन औऱ ग्राहकों तक वितऱण करना एक मुश्किल कार्य था । लॉकडाउन और शहर के अंदर कोरोना प्रतिबंधों के कारण आम ग्राहकों तक वितरित नही हो पाते थे। दूसरी तरफ आम जल्दी खराब होने वाला उत्पाद है जिसके काऱण ज्यादा परेशानी होती थी।
वर्तमान में कोराना महामारी की दूसरी लहर में लोगों की आवाजाही फिर से सीमित हो गई है और हर कोई अपने दरवाजे पर आम को मंगवाना चाहता है। लोगों ने फिर उन उद्यमियों से संपर्क करना शुरू कर दिया है जो पिछले साल ऑनलाइन आम मार्केटिग में शामिल थे।
शैलेन्द्र राजन ने पिछले साल का अनुभव साझा करते हुए बताया कि आम उद्यमियों को केवल आम के लिए ऑनलाइन मार्केटिंग के साथ इस व्यवसाय मॉडल को स्थाई बनाए रखना एक बड़ी समस्या है। यह आनलाइन मार्केटिंग केवल ताजे आम की बिक्री तक ही सीमित है । एक बार आम का मौसम समाप्त हो जाने के बाद बनाया गया पिछले साल वाला नेटवर्क और सुविधाएं निष्क्रिय हो गई। इसलिए संस्थान ने आनलाइन मार्केटिंग साल भर सुचारू रूप से संचालित हो सके उसके लिए उद्यमियों को इसमे अन्य वस्तुओं को शामिल करने के लिए प्रेरित किया । इसमें आम आधारित और अन्य फलों के मूल्यवर्धित उत्पादों को शामिल किया जा सके जिसकी मांग की अच्छी संभावना है। हालांकि उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आम के उत्पादन के कारण आनलाइन के उद्यमियों द्वारा आम की मार्केटिंग बडी मात्रा में नहीं की जा सकती है। लेकिन इसके द्वारा छोटे किसानों को बड़ी संख्या में इस कड़ी के साथ जोड़ा जा सकता है। ऑनलाइन मार्केटिंग के जरिए आसानी से ग्राहक के दरवाजे तक कार्बाइड मुक्त आम की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है। आम की स्थाई ऑनलाइन मार्केटिंग के लिए मौसम के अनुसार आम की गुणवत्ता बनाए ऱखना जरूरी है ।
उत्तर प्रदेश में आम का उत्पादन सालाना लगभग 40 लाख टन अनुमानित है लेकिन यह उत्पादन आम में आने वाले बौऱ के समय रहने वाले मौसम और जलवायु पर निर्भर करता है जिसके कारण एक वर्ष से दूसरे वर्ष आम के उत्पादन में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। चूंकि भारत दुनिया में सबसे बड़ा आम उत्पादक है, दुनिया में होने वाले आम उत्पादन में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी भारत की है । इसके बाद चीन, थाईलैंड और पाकिस्तान आते हैं, फिर भी फलों का एक बड़ा हिस्सा घरेलू बाजार में ही खपत होता है केवल थोड़ी मात्रा में ही निर्यात किया जाता है।
(वीरेंद्र सिंह रावत लखनऊ के पत्रकार हैं, जो उद्योग, अर्थव्यवस्था, कृषि, बुनियादी ढांचे, बजट इत्यादि समकालीन मुद्दों पर लिखते हैं)