लखनऊ, 23 जुलाई, 2021
भारत और पाकिस्तान के बीच 'बासमती' चावल की उत्पत्ति के दावे को लेकर विवाद जारी है, इसी तरह का विवाद पारंपरिक भारतीय मिठाई 'रसगुल्ला' या 'रोशोगुल्ला' को लेकर पश्चिम बंगाल और ओडिशा के बीच हुआ जो हमारी यादों में अभी भी ताजा है।
इन दोनों मामलों में इन प्रतिद्वंदियों ने इन प्रतिष्ठित ब्रांडो पर स्वामित्व हासिल करने के लिए इन उत्पादों से संबंधित अपने दावे को लेकर जोरदार तर्क दिए थे क्योंकि उनके इन पर स्वामित्व हासिल करने के पीछे इन उत्पादों से जुड़े गौरव के साथ साथ उनका मूल तत्व व्यवसायिक था जो ज्यादा आकर्षित कर रहा था ।
कोई भी उत्पाद हो उसकी एक विशिष्ट भौगोलिक वंशावली होती है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिसे जियोग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री( GI) द्वारा प्रमाणित किया जाता है।
उत्तर प्रदेश ने साल 2018 में उद्योगों, हस्तशिल्प औऱ कृषि क्षेत्र में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना कीशुरुआत की थी। अब विभिन्न वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक जीआई बोर्ड बनाने का निर्णय लिया गया है। प्रस्तावित बोर्ड राज्य के स्थानीय उत्पाद जो अधिकतर एमएसएमई सेक्टर से जुड़े हैं ,उनकी मार्केटिंग और ब्रांडिंग के लिए रणनीति तैयार करेगा।
भारत में जीआई का रजिस्ट्रेशन चेन्नई स्थित जियोग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री द्वारा विशिष्ट एऱिया के पाराम्परिक औद्योगिक हस्तशिल्प या प्राकृतिक उत्पाद जैसे लखनऊ चिकन जरदोजी, दशहरी आम,बनारसी साड़ी के अधिकारों के दावों की जांच एक लंबी प्रक्रिया के बाद दिया जाता है । जीआई पंजीकरण भौगोलिक उत्पत्ति और विकास वाले उत्पादों प्रामाणिकता का एक यूनीक प्रतीक चिन्ह है। जो मार्केटिंग में शीघ्र ही ब्रांड को रिकॉल में मदद करता है। यह उत्पाद ज्योग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ द गुड्स (रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन) एक्ट, 1999 के तहत आते हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जीआई बोर्ड विश्व स्तर पर उत्पादों को बढ़ावा देने की रणनीति तैयार करेगा। यह पारंपरिक उत्पादों के प्रचार, ब्रांडिंग, विपणन और निर्यात में लगे वैधानिक राष्ट्रीय निकायों के साथ समन्वय स्थापित करेगा। इसके अलावा, जीआई बोर्ड पंजीकरण के लिए संभावित उत्पादों की पहचान करेगा और स्थानीय उद्यमियों को संगठित करेगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आर.के.तिवारी ने अधिकारियों से जीआई बोर्ड के शीघ्र गठन का खाका तैयार करने को कहा है ताकि राज्य के सभी 75 जिलों के लोगों को लाभ मिल सके। साथ ही राज्य सरकार ने केंद्र से तेजी से एयर कार्गो की आवाजाही के लिए वाराणसी में कस्टम क्लीयरेंस सुविधा प्रदान करने का भी आग्रह किया है। अहम बात यह है कि वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने भदोही स्थित इनलैंड कंटेनर डिपो (ICD) को फिर से खोलने को लेकर एक अध्ययन करा रही है जिसकी क्षमता हर महीने 6,000 कंटेनर भेजने की हो।
( वीरेंद्र सिंह रावत, लखनऊ में कार्यरत जर्नलिस्ट हैं। वह इकोनॉमी, बजट, एग्रीकल्चर और समसामयिक विषयों पर लिखते हैं।)