“ग्रामीण भारत का एजेंडा” विषय पर रूरल वॉयस और सॉक्रेटस द्वारा आयोजित पांच क्षेत्रीय सम्मेलनों में हुई व्यापक चर्चा और उनसे मिली अंतर्दृष्टि ने सामूहिक रूप से ग्रामीण भारत के लिए एजेंडा तैयार करने की नींव रखी। इसमें ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता प्रमुखता से उजागर हुई। यह अनिवार्यता स्वास्थ्य और शिक्षा, परिवहन और ऊर्जा पहुंच सहित विभिन्न क्षेत्रों के लिए है। ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी की चुनौतियों से संबंधित निष्कर्ष निम्नलिखित हैं।
ग्रामीण रोड नेटवर्कः सम्मेलन में इस मुद्दे पर कराए गए मतदान के दौरान एक चौथाई से अधिक प्रतिभागियों ने मेघालय के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क नेटवर्क, फुटपाथ, स्ट्रीट लाइट और जल निकासी व्यवस्था में सुधार के महत्व पर जोर दिया। मेघालय और उत्तर प्रदेश दोनों जगहों पर मतदान के परिणाम में सर्वसम्मति से खेतों और कृषि मंडियों को परिवहन सुविधाओं से जोड़ने की व्यवस्था करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सड़कों का बुनियादी ढांचा बढ़ाने की साझा मांग पर प्रकाश डाला गया।
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स्वास्थ्य अवसंरचनाः ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवा की स्थिति का लाखों ग्रामीणों के जीवन और आजीविका पर सीधा प्रभाव पड़ता है। उत्तर प्रदेश और मेघालय दोनों जगहों पर प्रतिभागियों ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों सहित बुनियादी स्वास्थ्य ढांचे की अपर्याप्तता और उनके ठीक से काम नहीं करने पर भी चिंता जताई। उत्तर प्रदेश, ओडिशा और मेघालय में बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने कहा कि वे अपना नेता चुनते समय देखेंगे कि अच्छी सुविधाओं से सुसज्जित, सस्ती और आसानी से सुलभ स्वास्थ्य सुविधाओं को पूरा करने के वादे उन्होंने पूरे किए हैं या नहीं।
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शिक्षा अवसंरचनाः ग्रामीण भारत में बुनियादी शैक्षिक ढांचे की स्थिति सीधे तौर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच और विस्तार देश के सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रभावित करती है। मुजफ्फरनगर के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में ग्रामीण युवाओं को पर्याप्त कौशल और तकनीकी शिक्षा नहीं मिलती है। ओडिशा, राजस्थान, मेघालय और उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक और उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बिगड़ रही है।
मेघालय में पूर्वी खासी हिल्स के एक प्रतिभागी ने कहा कि प्राथमिक से माध्यमिक विद्यालय तक बीच में ही पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों की दर अधिक है। इसके अलावा, कृषि से संबंधित व्यावहारिक कौशल प्रदान करने पर अपर्याप्त ध्यान दिया गया है। ओडिशा में मौजूद लोगों के चुनावी वादे मुख्य रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों की शिक्षा को बढ़ावा देने पर केंद्रित थे। मेघालय में ज्यादातर प्रतिभागियों ने शिक्षा के बुनियादी ढांचे से संबंधित चुनावी वादों और कॉलेज स्तर तक उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा में एकरूपता प्रदान करने की अपनी प्राथमिकता जताई।
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ऊर्जा अवसंरचनाः मेघालय, तमिलनाडु और ओडिशा के ग्रामीण निवासियों ने बताया कि बिजली कटौती और लोड शेडिंग का उनके दैनिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। उन्होंने 24 घंटे लगातार बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के उपाय लागू करने पर बल दिया। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के एक किसान ने बिजली की बढ़ती दरों को चिंता का कारण बताया।
ओडिशा में प्रतिभागियों ने कहा कि वे ऐसे नेताओं को वोट देंगे जो जीवाश्म ईंधन पर उनकी निर्भरता को कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, विशेष रूप से सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने में मदद करेंगे। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा बुनियादी ढांचे का संतुलित, समावेशी और सतत विकास प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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निष्कर्षः स्थानीय समुदायों, किसानों, शिक्षकों, कारीगरों और अन्य लोगों द्वारा साझा की गई अंतर्दृष्टि ने ग्रामीण भारत के बुनियादी ढांचे के एजेंडे को आकार देने में अमूल्य योगदान दिया है। स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, ऊर्जा जैसे आवश्यक क्षेत्रों में निवेश करके हम न केवल तत्काल जरूरतों को पूरा करते हैं बल्कि परिवर्तनकारी कदमों की एक श्रृंखला भी शुरू करते हैं जो ग्रामीण समुदायों के कल्याण पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
(लेखक सॉक्रेटस में सीनियर प्रोग्राम मैनेजर हैं।)