एमसीएक्स के चेयरमैन और नाबार्ड के पूर्व चेयरमैन डॉ. हर्ष कुमार भानवाला ने कहा है कि 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए कृषि का ग्रोथ बढ़ाना जरूरी है। कृषि को बढ़ाने के लिए गांवों में अच्छी कनेक्टिविटी की जरूरत है। रूरल वॉयस के तीसरे स्थापना दिवस पर आयोजित रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड नेकॉफ अवार्ड, 2023 के “इन्वेस्टमेंट एंड जॉब ऑपर्च्युनिटीज इन रूरल एरियाज” सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बातें कही हैं।
डॉ. भानवाला ने कहा कि आज हम कृषि को सिर्फ कृषि के तौर पर नहीं देख सकते। अगर कृषि को विकसित बनाना है तो और कई चीजों का विकास करना पड़ेगा। 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए कृषि का ग्रोथ बढ़ाना जरूरी है। इसके लिए गांवों में अच्छी सड़कें, पानी, बिजली, मार्केट (मंडी), डिजिटल प्लेटफॉर्म और इंटरनेट की बेहतर कनेक्टिविटी की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज का युवा इंटरनेट पर हर चीज का आर्डर देता है, चाहे वह ग्रामीण क्षेत्र का ही क्यों न हो। इंटरनेट के माध्यम से फूड कंजप्शन बढ़ रहा है। इस क्षेत्र में बहुत अवसर हैं। यह ऐसा क्षेत्र है जो रोजगार दे सकता है।
उन्होंने कहा कि कई राज्यों के ग्रामीण इलाकों में कनेक्टिविटी की समस्या है। जब तक गांव में इंटरनेट की अच्छी कनेक्टिविटी नहीं होगी 2047 तक कृषि के विकास की योजना अधूरी रहेगी। बंटाईदारी का मसला उठाते हुए उन्होंने कहा कि सभी राज्यों को मिलकर इस पर निर्णय करना पड़ेगा। अभी करीब 30% किसान ऐसे हैं जिनके पास अपना खेत नहीं है और वे बंटाई या लीज पर खेती करते हैं। ऐसे किसान कृषि में निवेश क्यों करेंगे। उन्हें मालूम है कि साल-दो साल या तीन साल बाद जमीन मालिक किसी और को अपना खेत बंटाई पर दे देगा। इस स्थिति को बदलने के लिए उन्होंने राज्यों को कानून बनाने का सुझाव दिया ताकि खेत के मालिक का हक बना रहे और बंटाईदार को भी फायदा हो।
उन्होंने कहा कि कृषि में मशीनरी का प्रयोग बढ़ा है। कृषि के सभी कार्यकलापों के लिए नई-नई मशीनें आ गई हैं जो महंगी हैं। किसान हर तरह की मशीनें खरीद नहीं सकता। ऐसे में मैकेनाइज्ड सर्विस में रोजगार के बड़े अवसर हैं। इसमें कॉरपोरेट को निवेश करना चाहिए। आने वाले दिनों में कृषि में श्रमिकों की कमी होगी, इसलिए मैकेनाइज्ड सर्विस में मांग बढ़ने की पूरी संभावना है।
उन्होंने यह भी कहा कि हमें पर्यावरण को बचाना भी जरूरी है। आज शहरों को तो छोड़िए गांव में भी सांस लेना मुश्किल हो गया है, खासकर शहरों के आस-पास के गावों में। कृषि से जुड़े पर्यावरण में निवेश करना जरूरी है। जब निवेश होगा तो अवसर भी मिलेंगे। इसके अलावा स्किल डेवलपमेंट में भी निवेश की जरूरत है।
डॉ. भानवाला ने कहा कि कोऑपरेटिव और पंचायती राज की संस्थाओं में बदलाव लाने और उनमें प्रत्येक किसान की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है। जब तक किसानों की भागीदारी सुनिश्चित नहीं होगी, कोई भी तकनीक आ जाए, कोई भी योजना बन जाए, व्यवस्था बदलेगी नहीं। पर्यावरण और निवेश के साथ-साथ हमें नजरिये, नीतियों और अपनी संस्थाओं में लोगों की भागीदारी के साथ बदलाव लाने की जरूरत है।