'ग्रामीण भारत के लिए विकास का एजेंडा कैसे तैयार किया जाना चाहिए' इस सवाल पर मेघालय की राजधानी शिलांग में आयोजित 'एजेंडा फॉर रूरल इंडिया' कार्यक्रम में बारीकी से चर्चा की गई। इस कार्यक्रम का आयोजन रूरल वॉयस, सॉक्रेटस और नेसफास (North East Slow Food & Agrobiodiversity Society) द्वारा किया गया।
दिन भर चले इस कार्यक्रम में मेघालय के सात जिलों के विविध ग्रामीण हितधारकों ने भाग लिया। इनमें किसान, महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य, ग्रामीण उद्यमी, मधुमक्खी पालक, कारीगर, शिक्षक, ग्राम रोजगार परिषद के सदस्य, ग्राम परिषद के सदस्य और बुनकर शामिल थे। गारो, खासी, जैंतिया और कार्बी जनजातियों के 60 प्रतिभागियों का यह विविध समूह था जिसमें पुरुष और महिला दोनों शामिल थे।
कार्यक्रम में शामिल प्रतिभागियों ने ग्रामीण नागरिक के रूप में उनके सामने आने वाले अनेक मुद्दों पर चर्चा की और विचार-विमर्श किया। उन्होंने अपने-अपने गांवों के लिए अपनी आकांक्षाओं और उन नीतियों को भी स्पष्ट रूप से रखा जिन्हें वे लागू होते देखना चाहते हैं। एजेंडा फॉर रूरल इंडिया- शिलांग डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म रूरल वॉयस और सामाजिक और ग्रामीण क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन सॉक्रेटस द्वारा देश भर में आयोजित किए जा रहे ग्रामीण लोगों के विचार जानने की श्रृंखला का हिस्सा है। इससे पहले जून में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में सम्मेलन आयोजित किया गया था। उसके बाद अगस्त में ओडिशा के भुवनेश्वर तथा सितंबर के पहले हफ्ते में राजस्थान के जोधपुर में सम्मेलन का आयोजन किया गया। ग्रामीण क्षेत्र के लिए काम करने वाला गैर सरकारी संगठन नेसफास शिलांग में आयोजित कार्यक्रम का स्थानीय भागीदार था।
रूरल वॉयस के एडिटर इन चीफ हरवीर सिंह ने एजेंडा फॉर रूरल इंडिया सम्मेलन की शुरुआत करते हुए कहा, "इन सम्मेलनों का फोकस जमीनी स्तर पर ग्रामीण नागरिकों को आकर्षित करना है। हमारा लक्ष्य नीचे से ऊपर तक दृष्टिकोण प्रदान करना है। ग्रामीण समुदायों और नीति निर्माताओं, नौकरशाहों, राजनेताओं, विशेषज्ञों और मीडिया के बीच अंतर को अधिक समावेशी बनाने और निर्णय लेने की प्रक्रिया के लिए यह महत्वपूर्ण है। ग्रामीणों की आवाज उठा कर हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनकी जरूरतों और चिंताओं को सुना और संबोधित किया जाए। साथ मिलकर हम एक अधिक न्यायसंगत और समावेशी समाज के लिए प्रयास कर सकते हैं।"
प्रतिभागियों ने उन मुद्दों और समस्याओं को उठाया जिनका वे ग्रामीण नागरिकों और किसानों के रूप में सामना कर रहे हैं। प्रतिभागियों द्वारा कृषि, ग्रामीण बुनियादी ढांचे और सामाजिक क्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला गया। कृषि क्षेत्र के मुद्दों में मिट्टी का खराब स्वास्थ्य, मिट्टी का कटाव, गुणवत्ता वाले बीजों और जैव-इनपुट की अनुपलब्धता, कीटों के बढ़ते हमले, खराब सिंचाई सुविधाएं और खराब ग्रामीण कनेक्टिविटी की पहचान बाधाओं के रूप में की गई।
अन्य समस्याओं में कृषि उपज के लिए खराब विपणन बुनियादी ढांचा, उपज की कम कीमत मिलना और उचित भंडारण सुविधाओं और कोल्ड स्टोरेज की कमी जैसे अहम मुद्दे शामिल थे। जलवायु परिवर्तन कृषि क्षेत्र के लिए एक बड़ी समस्या है क्योंकि मौसम में अचानक परिवर्तन की घटनाएं बढ़ रही हैं। सामाजिक क्षेत्र के बारे में प्रतिभागियों ने खराब स्वास्थ्य और शैक्षिक बुनियादी ढांचे का मुद्दा उठाया। गांव के स्कूलों में शिक्षकों की अनुपस्थिति और स्कूली भवनों की कमी और खराब स्थिति का मुद्दा भी प्रतिभागियों ने उठाया। बेरोजगारी, नशाखोरी, कम उम्र में शादी और बच्चों की देखभाल की उचित सुविधा न होना बड़ी सामाजिक समस्या के रूप में सामने आए।
ग्रामीण इलाकों में कनेक्टिविटी अच्छी नहीं होने और बिजली की बेहतर आपूर्ति के अभाव का भी मुद्दा उठाया गया। प्रतिभागियों ने कहा कि पेयजल सुविधाओं में बड़े पैमाने पर सुधार की जरूरत है क्योंकि गांव वाले पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। उनकी राय थी कि सरकारों और राजनीतिक तंत्र को उनके द्वारा उठाई गई समस्याओं के समाधान के लिए तेजी से कार्य करना चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की कि सरकार को रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग कम करने के लिए किसानों को पारंपरिक खेती अपनाने, जैव उर्वरक और जैव कीटनाशक उपलब्ध कराने में मदद करनी चाहिए।
सरकार को बेहतर सिंचाई सुविधाओं के लिए योजनाएं शुरू करनी चाहिए और चेक डैम प्रणाली के माध्यम से कृषि के लिए सिंचाई कवरेज बढ़ाना चाहिए। सरकार को कृषि उपज से बेहतर मूल्य प्राप्ति के लिए कृषि विपणन से बिचौलियों को हटाने के लिए भी कार्य करना चाहिए।
गारो पर्वतीय क्षेत्र के प्रतिभागियों द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण मुद्दा बढ़ता मानव-वन्यजीव संघर्ष था जो किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। प्रतिभागियों द्वारा खराब प्रशासन और सरकारी योजना और विभागों में भ्रष्टाचार के मुद्दे को एक प्रमुख मुद्दे के रूप में उठाया गया।
सॉक्रेटस के डायरेक्टर प्रचुर गोयल ने कार्यक्रम के समापन के मौके पर कहा, "नीतियां बनाने के लिए ग्रामीण नागरिकों के साथ संवाद आयोजित करने का प्रयास काफी महत्व रखता है। इन संवादों के माध्यम से हम ग्रामीण समुदायों की अनूठी चुनौतियों, जरूरतों और आकांक्षाओं के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्राप्त करके शहरी और ग्रामीण दृष्टिकोणों के बीच अंतर को पाटते हैं। इन संवादों को हम न केवल नीति निर्धारकों तक पहुंचाते हैं, बल्कि ग्रामीण नागरिकों के बीच समावेशिता और स्वामित्व की भावना को भी बढ़ावा देते हैं। उन्हें नीतियों को सक्रिय रूप से आकार देने के लिए सशक्त बनाया जाता है जिससे उनके जीवन और आजीविका पर सीधे असर पड़ेगा।"
नेसफास के कार्यकारी निदेशक पीयूष रानी ने कहा कि इस सम्मेलन ने महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि सामने ला दी है। हमें उम्मीद है कि नई दिल्ली में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय सेमिनार के लिए यह उपयोगी होगी। हमें विश्वास है कि यह सहयोगात्मक प्रयास हमारी सामूहिक समझ को बढ़ाएगा और अधिक प्रभावशाली और सफल ग्रामीण सम्मेलन को जन्म देगा।
यह कार्यक्रम देश में ग्रामीण समुदायों के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों का समाधान करने के लिए रूरल वॉयस और सॉक्रेटस द्वारा आयोजित किए जा रहे सम्मेलनों की श्रृंखला का हिस्सा है। इन आयोजनों का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच आर्थिक और सामाजिक असमानता के मुद्दे को संबोधित करना और ग्रामीण हितधारकों को अपनी राय व्यक्त करने में सक्षम बनाना, ग्रामीण विकास में तेजी और समावेशिता को बढ़ावा देना है।
इन कार्यक्रमों में संवाद और सहयोग के माध्यम से ग्रामीण भारत का एजेंडा विकसित करने की उम्मीद है, जो इन समुदायों की जरूरतों को पूरा करने के लिए जरूरी नीतिगत प्रक्रिया को बेहतर करने में मदद करेगा। राज्यों के स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों में मिलने वाले इनपुट के आधार पर नवंबर में राष्ट्रीय स्तर पर नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों के साथ एक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जिसमें राज्य स्तरीय सम्मेलनों से संकलित अंतर्दृष्टि साझा की जाएगी।