अपने पाठकों और दर्शकों के उत्साहवर्धन के चलते रूरल वॉयस ने आज अपना छह माह का सफर पूरा कर लिया है।अब आगे का सफर और अधिक विस्तार और कंटेट में विविधिकरण लेकर आ रहा है। इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर रूरल वॉयस ने ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेस के चेयरमैन डॉ. आर.एस. परोदा और इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आईसीएआर) के पूर्व डायेरक्टर जनरल (डीजी) और सेक्रेटरी डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च एंड एजुकेशन (डेअर), भारत सरकार के साथ अपने कार्यक्रम रूरल डायलॉग में विडियो इंटरव्यू के जरिए लंबी बातचीत की। रूरल वॉयस के एडीटर -इन-चीफ हरवीर सिंह के साथ डॉ. परोदा ने अमेरिका के बॉस्टन से बातचीत की।
भारतीय कृषि क्षेत्र में हरित क्रांति के शुरुआती दिनों से इसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डॉ. परोदा ने पिछले दिनों सरकार को इंडियन एग्रीकल्चर सिक्योर एंड सस्टेनेबल शीर्षक से एक रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले साइंटिस्ट, पॉलिसी मेकर और दूसरे विशेषज्ञों की टीम को डॉ. परोदा ने नेतृत्व दिया। डॉ. परोदा ने इस लंबे इंटरव्यू में भारतीय कृषि क्षेत्र और किसानों की उपलब्धियों को बताया और साथ ही दूसरी पीढ़ी की मुश्किलों पर भी बात की। किस तरह से किसान की लागत बढ़ रही है और उसकी आमदनी घट रही है। किसानों को फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर स्पष्ट नीति की क्यों जरूरत है और इसका निर्धारण करने के लिए सी-2 लागत से डेढ़ गुना क्यों होना चाहिए, इसका भी तर्क दिया है। साथ केवल फसलों पर नीतियों को केंद्रित करने की बजाय डेयरी, मछली पालन और बागवानी फसलों को किसानों की आय बढ़ाने में किस तरह से बढ़ावा देने की जरूरत है, इस पर भी बात की। वहीं फसल विविधिकरण के साथ ही किसानों को मिलने वाली सब्सिडी के लिए नया फार्मूला भी वह सुझाते हैं।
इसके साथ ही उनका सबसे अधिक जोर है एक नई कृषि नीति बनाने और दूसरे संस्थागत सुधारों को लागू करने पर। उनका मानना है कि अब एग्रीकल्चर फर्स्ट की जगह फारमर फर्स्ट की रणनीति की जरूरत है । नेशनल एग्रीकल्चरल डवलपमेंट एंड फार्मर्स वेलफेयर काउंसिल के गठन और कृषि एवं किसान कल्याण की नई नीति बनाने की जरूरत भी वह बताते हैं।
इन तमाम मुद्दों और कृषि के भावी स्वरूप और विकास की नीतियों पर डॉ. परोदा के जवाब जानने के लिए रूरल डायलॉग में उनका एक्सक्लूसिव विडियो इंटरव्यू देखें।