कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का एक प्रभावशाली सेक्टर है। यहां लगभग 85% कृषि भूमि 2 हेक्टेयर से कम आकार की है। फिर भी वह हमारी 1.41 अरब की विशाल आबादी के लिए पर्याप्त फूड (खाद्य) और फाइबर उत्पन्न करती है। इसके अतिरिक्त यह निर्यात के लिए सरप्लस उत्पादन भी करती है। किसानों के योगदान के बिना यह संभव नहीं होता। छोटे और सीमांत किसानों के लिए पर्याप्त, समय पर और सस्ता संस्थागत कर्ज आवश्यक है। नीति निर्माताओं ने संस्थागत कर्ज तक किसानों की पहुंच बेहतर बनाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इन नीतियों में छोटे और सीमांत किसानों को मजबूत बनाने पर फोकस किया गया है ताकि खेती के तौर-तरीके को सुधारा जा सके।
कृषक समुदाय को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए कृषि ऋण सुधार के क्षेत्र में कई प्रोएक्टिव कदम उठाए गए हैं, फिर भी यह कई पड़ोसी देशों की तुलना में पीछे है। हाल के दशकों में कर्ज की संख्या तो बढ़ी है, इसकी क्वालिटी और कृषि पर इसका असर कमजोर ही हुआ है। कृषि में पूंजी की जरूरत पड़ती है क्योंकि अधिकतर किसानों को उपकरणों की खरीद पर काफी खर्च करना पड़ता है। फिर भी किसानों को दिया जाने वाला अधिकतर कृषि कर्ज वर्किंग कैपिटल प्रकृति का होता है। इससे 80% से अधिक किसानों की आमदनी स्थिर हो गई है।
भारत में कर्ज की मांग के विश्लेषण से पता चलता है कि बैंक तथा अन्य वित्तीय संस्थान प्राथमिकता क्षेत्र के तहत कृषक समुदाय के बीच अपनी पहुंच तेजी से बढ़ा रहे हैं। फिर भी यह पहुंच जरूरत से बहुत कम है। इस परिदृश्य में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) सेक्टर ने कृषि मैकेनाइजेशन पर फोकस करके सफलता की उल्लेखनीय मिसाल पेश की है। यह वास्तव में भारत की विविध और उद्यमी भावना को प्रदर्शित करता है। बड़े कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर की फाइनेंसिंग से लेकर छोटे किसानों को माइक्रोफाइनेंसिंग तक, इन एनबीएफसी ने समय के साथ इनोवेशन किए और समस्त कृषक समुदाय की कर्ज की जरूरतों को पूरा करने का रास्ता निकाला। कृषि पर फोकस करने वाले एनबीएफसी-फिनटेक अच्छे और नियमित संस्थान के रूप में विकसित हुए हैं। उन्होंने टेक्नोलॉजी, इनोवेशन, जोखिम प्रबंधन तथा गवर्नेंस के सर्वश्रेष्ठ तरीकों को अपनाया है। इन संस्थानों ने माध्यम बनकर वित्तीय समावेशन के सरकार के एजेंडे को आगे भी बढ़ाया है।
कृषि केंद्रित एनबीएफसी-फिनटेक किसानों की दीर्घकालिक कर्ज की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं क्योंकि ग्रामीण भारत में उनकी अच्छी पहुंच है और उनका ज्यादातर कर्ज वितरण छोटे और सीमांत किसानों के बीच है। आंकड़ों से पता चलता है कि सिर्फ 30% छोटे और सीमांत किसानों की पहुंच बैंकों तथा अन्य औपचारिक वित्तीय संस्थानों तक है। दूरदराज के इलाकों तक पहुंच न होने और महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी का अभाव के चलते बैंकों को किसानों को कर्ज उपलब्ध कराने में दिक्कतें आती हैं।
छोटे किसानों को कर्ज देने तथा अन्य बैंकिंग गतिविधियों की और भी सीमाएं हैं। जैसे सीमांत किसानों के लिए सेवा का अधिक खर्च और कर्ज डिफॉल्ट करने का बड़ा जोखिम। बैंकों को कुछ और समस्याओं का भी सामना करना पड़ा है। जैसे खेत का डाटा एकत्र करना तथा किसानों को होने वाले कैशफ्लो की जानकारी, उनके कर्ज के इतिहास की जानकारी का न होना। यही वह जगह है जहां कृषि केंद्रित एनबीएफसी-फिनटेक की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने ऐसी टेक्नोलॉजी हासिल की है जिनसे कृषि क्षेत्र तथा व्यक्तिगत किसानों के बारे में उन्हें सभी आवश्यक सूचनाएं उपलब्ध होती हैं, जिनकी मदद से किसानों को बेहतर तरीके से कर्ज उपलब्ध कराया जा सकता है। वे कम कागजी कार्रवाई के साथ किसानों को जल्दी कर्ज भी उपलब्ध करा सकते हैं। उन्नत एनालिटिक्स और ग्रामीण बाजार के बारे में जानकारी उपलब्ध होने से उन्हें कर्ज देने की प्रक्रिया को सक्षम बनाने और कर्ज वितरण का समय घटाने में भी मदद मिलती है।
कृषि केंद्रित एनबीएफसी जिन कार्यों के लिए किसानों को कर्ज देते हैं उनमें उपकरण और मशीनरी खरीदना, सिंचाई के आधुनिक और सक्षम तरीके अपनाना तथा खेती के समग्र वैल्यू चेन के अवयव शामिल हैं। उन्होंने ब्याज की दर को भी नीचे लाने में कामयाबी हासिल की है। भारत के विशाल ग्रामीण क्षेत्र में जो अनौपचारिक कर्ज व्यवस्था है वहां 24% से 60% तक ब्याज वसूला जाता है, जबकि यह संस्थान 12% से 18% तक ब्याज लेते हैं। कर्ज की डिमांड के आकलन में आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल, कर्ज के इस्तेमाल पर नजर, सिंचाई सुविधाओं की ट्रैकिंग आदि ऐसे खास प्रोडक्ट हैं जो एनबीएफसी किसानों को मुहैया कराते हैं।
समय आ गया है कि नीति निर्माता ऐसे एनबीएफसी की सहायता करें जो कृषि क्षेत्र में औपचारिक फाइनेंसिंग में आमूलचूल बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। ये एनबीएफसी अभी जिस बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं वह है सुधारों में उन्हें शामिल ना किया जाना। यह अभी बैंकों तक सीमित है। नीति निर्माताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कृषि केंद्रित एनबीएफसी-फिनटेक को सरकार की सब्सिडी स्कीम जैसे प्रभावी कार्यक्रमों में शामिल किया जाए। अभी यह लाभ सिर्फ बैंकों को मिलता है। इससे ये एनबीएफसी बेहतर तरीके से कर्ज देने, किसानों की कर्ज की जरूरत पूरी करने और उनकी आय बढ़ाने में मदद करने में कारगर भूमिका निभा सकेंगे। इससे दीर्घ काल में कृषि फाइनेंसिंग को मजबूत करने में मदद मिलेगी तथा भारतीय कृषि क्षेत्र का विश्व स्तर पर प्रभुत्व भी बनेगा।
(लेखक नेटाफिम एग्रीकल्चरल फाइनेंसिंग एजेंसी प्रा. लि. के सीईओ हैं)