विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) की 13वीं मंत्रिस्तरीय बैठक कृषि और फिशरीज सब्सिडी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई। कुल 166 सदस्य देशों में सहमति बनाने के लिए बैठक की अवधि एक दिन बढ़ाई गई थी, इसके बावजूद सभी गुटों के अपने पक्ष पर अड़े होने के कारण कोई समाधान नहीं निकला। हालांकि कृषि में पब्लिक स्टॉक होल्डिंग और फिशरीज का मुद्दा अहम था और भारत चाहता था कि इस पर कोई निर्णय हो। भारत के शुरुआती विरोध के बावजूद ई-कॉमर्स पर कस्टम ड्यूटी न लगाने का प्रावधान दो साल के लिए बढ़ा दिया गया। भारतीय प्रतिनिधि मंडल के प्रमुख और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, हमने किसी मुद्दे पर कुछ खोया नहीं है। मैं खुश और संतुष्ट होकर लौटूंगा।
भारत के लिए पब्लिक स्टॉक होल्डिंग का मुद्दा अहम है। विकसित देश इसे कृषि व्यापार में तथाकथित सुधारों से जोड़ना चाहते थे, जिसका भारत के नेतृत्व में जी-33 देशों ने विरोध किया।
डब्लूटीओ के कृषि संबंधी समझौते (एओए) की समीक्षा का एक भाग ऐसा है जो भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का आधार है। इसमें कहा गया है कि डब्ल्यूटीओ के सदस्य फसलों और इनपुट के लिए जो सब्सिडी देंगे, वह कृषि उपज के मूल्य के अधिकतम 10% तक होगा। कृषि समझौते के अनुसार किसी भी कमोडिटी के लिए उसके मौजूदा प्रशासित मूल्य अथवा मार्केट प्राइस सपोर्ट और 1986-88 की अंतरराष्ट्रीय कीमत (जिसे तय बाह्य संदर्भ मूल्य कहा जाता है) का अंतर उसकी सब्सिडी होगी।
भारत ने अपने नागरिकों की खाद्य सुरक्षा के लिए इसका विरोध किया था, तब 2013 में एक पीस क्लॉज बना था जिसमें भारत समेत विकासशील देशों को छूट मिली थी। यह भी तय हुआ था कि डब्ल्यूटीओ के सदस्य सरकारी स्टॉक होल्डिंग के लिए 2017 तक स्थायी समाधान निकालेंगे। स्थायी समाधान न होने की स्थिति में यह क्लॉज जारी रहेगा।
फिशरीज के मुद्दे पर भी कोई फैसला नहीं हो सका। भारत छोटे मछुआरों के हितों को देखते हुए विशेष छूट चाहता है, क्योंकि यहां करीब 90 लाख लोगों की यह आजीविका है। भारत का तर्क था कि विकासशील देशों को समुद्र तट से 200 नॉटिकल मील तक मछली पकड़ने पर मछुआरों को सब्सिडी देने की अनुमति जारी रहे, लेकिन विकसित देशों में 200 नॉटिकल मील से आगे गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए सब्सिडी खत्म हो।