खाद्य उत्पादों, खनिज तेलों, बुनियादी धातुओं की कीमतों में गिरावट के चलते लगभग तीन वर्षों में पहली बार थोक महंगाई घटकर शून्य से नीचे पहुंच गई है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में थोक मूल्य आधारित महंगाई की दर गिरकर (-) 0.92 फीसदी पर पहुंच गई। मार्च में थोक महंगाई 1.34 फीसदी थी। जून 2020 के बाद से यह थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) का सबसे निचला स्तर है। तब मुद्रास्फीति (-) 1.81 फीसदी थी।
कमोडिटी की वैश्विक कीमतों में नरमी से खाद्य, ईंधन और अन्य इनपुट लागत में कमी आई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2023 में मुद्रास्फीति की दर में गिरावट मुख्य रूप से बुनियादी धातुओं, खाद्य उत्पादों, खनिज तेल, कपड़ा, गैर-खाद्य सामग्री, रासायनिक और रासायनिक उत्पादों, रबर और प्लास्टिक उत्पादों और कागज और कागज के उत्पादों की कीमतों में कमी की वजह से आई है। इसके अलावा ईंधन व बिजली और निर्मित वस्तुओं की कीमतों में भी कमी दर्ज की गई।
खाद्य वस्तुओं की थोक महंगाई अप्रैल में घटकर 3.54 फीसदी रही जो मार्च में 5.48 फीसदी थी। खाद्य सामग्री श्रेणी में अनाज, गेहूं, फल, दूध और अंडे, मांस और मछली की कीमतों में पिछले महीने की तुलना में गिरावट आई है। इस दौरान सब्जियों की महंगाई दर (-) 1.50 फीसदी, आलू की (-) 18.66 फीसदी, प्याज की (-) 18.41 फीसदी और गेहूं की 7.27 फीसदी रही।
अप्रैल 2022 में 15.38 फीसदी के उच्च आधार ने भी इस साल अप्रैल में थोक मुद्रास्फीति में गिरावट में योगदान दिया। ईंधन और बिजली की महंगाई दर मार्च में 8.96 फीसदी से कम होकर अप्रैल में 0.93 फीसदी हो गई। विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति (-) 2.42 फीसदी रही। मार्च में यह 0.77 फीसदी थी। इससे पहले सरकार की ओर से जारी किए गए खुदरा महंगाई की दर में भी कमी दर्ज की गई थी। अप्रैल में खुदरा महंगाई की दर घटकर 18 महीने के निचले स्तर 4.70 फीसदी पर आ गई थी।