थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (डब्ल्यूपीआई) अक्तूबर में 19 महीने के निचले स्तर 8.39 प्रतिशत पर आ गई। थोक मुद्रास्फीति में यह गिरावट खाद्य, ईंधन और विनिर्मित उत्पादों की कम कीमतों के कारण है। थोक मुद्रास्फीति में एकल अंकों में वृद्धि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को राहत दे सकती है जो लंबे समय से कीमतों में बढ़ोतरी पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहा है। अब थोक महंगाई दर डेढ़ साल बाद लगातार पांचवे महीने गिरकर पहली बार एकल अंक में आई है।
रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले सप्ताह कहा था कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्तूबर में कम होकर 7 प्रतिशत से नीचे आ सकती है। आरबीआई मौद्रिक नीति का रुख और बेंचमार्क ब्याज दरों को तय करने के लिए सीपीआई (खुदरा) मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है।
सरकार द्वारा सोमवार को थोक महंगाई के आंकड़ों के मुताबिक खनिज तेल, बेस मेटल, फेब्रिकेटेड धातु उत्पादों, अन्य गैर-धातु खनिज उत्पादों, खनिजों और कपड़ों की कीमतों में गिरावट के कारण अक्तूबर, 2022 में थोक मुद्रास्फीति8.39 फीसदी रही।
अप्रैल, 2021 से थोक मुद्रास्फीति लगातार 18 माह तक दो अंकों में बनी रही। यह सितम्बर में 10.79 प्रतिशत पर थी जबकि एक साल पहले अक्टूबर, 2021 में यह 13.83 प्रतिशत थी। इससे पहले एकल अंक में मुद्रास्फीति मार्च 2021 में 7.89 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
खाद्य वस्तुओं में मुद्रास्फीति के संबंध देखे तो अक्टूबर में खाद्य पदार्थों की महंगाई दर 8.33 फीसदी थी, जो पिछले महीने में 11.03 फीसदी थी। इस दौरान सब्जियों, आलू, प्याज, फल, अंडा, मांस और मछली की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई लेकिन धान, गेहूं और दालों में तेजी देखी गई।
इस दौरान तिलहन की कीमतों में 5.36 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई जबकि खनिजों की थोक मुद्रास्फीति 3.86 प्रतिशत रही। विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति 4.42 प्रतिशत रह गई। खाद्य पदार्थों की महंगाई दर अक्टूबर में 8.33 फीसदी थी, जो सितंबर में 11.03 फीसदी थी। सब्जियों की महंगाई दर 17.61 प्रतिशत रही, जबकि एक माह पहले यह 39.66 प्रतिशत थी।
रिजर्व बैंक द्वारा लगातार बनी हुई उच्च मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए मई से सितंबर के बीच नीतिगत रेपो दर 1.90 प्रतिशत बढ़ाकर 5.90 प्रतिशत कर दी गई है।
बार्कलेज इंडिया ने एक टिप्पणी में कहा है कि कमोडिटी की कीमतों में अपेक्षाकृत कम और अनुकूल आधार प्रभावों के कारण आने वाले महीनों में थोक मुद्रास्फीति कम रह सकती है। हालांकि यह आशंका जताई है कि नए उभरते जोखिमों को देखते हुए नीति निर्माता ब्याज दरों पर सतर्क रुख अपना सकते हैं। इसने अगली मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर में 0.35 प्रतिशत की एक और वृद्धि की संभावना का भी संकेत दिया है।