भारत अगले 25 साल में दुनिया की डेयरी की डेयरी के रूप में स्थापित हो जाएगा। साल 2046 तक देश का दूध उत्पादन बढ़कर 62.8 करोड़ टन हो जाएगा जिसमें से 11.1 करोड़ टन निर्यात के लिए उपलब्ध होगा। यही नहीं साल 2047 में कुल ग्लोबल डेयरी ट्रेड 14.9 करोड़ टन का होगा जिसमें से भारत की निर्यात हिस्सेदारी 11.1 करोड़ टन की होगी। इस दौरान देश में दूध और डेयरी उत्पादों की मांग 51.6 करोड़ टन पर पहुंच जाएगी। इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन की वर्ल्ड डेयरी समिट 2022 में अगले 25 साल में भारत और विश्व में डेयरी क्षेत्र के परिदृष्य पर दिये एक प्रेजेंटेशन में (जीसीएमएमएफ) अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. आर.एस. सोढ़ी ने यह बातें कहीं।
डॉ. सोढ़ी ने कहा कि यह आकलन 4.5 फीसदी की एन्युअल कंपाउंड ग्रोथ रेट (सीएजीआर) पर आधारित हैं। इसके चलते विश्व के डेयरी उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी मौजूदा 23 फीसदी से बढ़कर 45 फीसदी हो जाएगी। वहीं इस दौरान भारत में दूध की प्रति व्यक्ति मांग मौजूदा 2.8 फीसदी की दर से बढ़कर 852 ग्राम पर पहुंच जाएगी जो सालाना 51.7 करोड़ टन होगी और उसके चलते हमारे पास 11.1 करोड़ टन का निर्यात योग्य दूग्ध उत्पाद होंगे। साल 2046 तक देश आबादी 167 करोड़ होगी।
वैश्विक स्तर और भारत के बीच तुलना करते हुए उन्होंने बताया कि भारत में दूध का उपलब्धता 3 फीसदी सीडीएआर से बढ़ रही है और यह इस समय 428 ग्राम प्रति व्यक्ति है जबकि विश्व का औसत 308 ग्राम प्रतिदिन है।
भारत में दूध उत्पादन में बढ़ोतरी के आंकड़ों और कारकों का विस्तार से जिक्र करते हुए सोढ़ी ने कहा कि भारत में 1974 में इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन (आईडीएफ) की पहली समिट के समय विश्व के डेयरी उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी केवल छह फीसदी थी और हमारा कुल दुध उत्पादन 2.6 करोड़ टन था लेकिन आज जब 2022 में दूसरी आईडीएफ समिट हो रही है तो साल 2021 के आंकड़ों के आधार पर भारत दुनिया में दूध उत्पादन में 23 फीसदी हिस्सेदारी रखता है और 20.9 करोड़ टन दूध उत्पादन के साथ दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन गया है। साल 1050 से अभी तक भारत की आबादी 3.8 गुना बढ़ी है जबकि दूध उत्पादन 12.3 गुना बढ़ा है। भारत में आबादी की सीएजीआर वृद्धि 1.8 रही है जबकि दूध उत्पादन की 4.8 सीएजीआर की वृद्धि हुई है। पिछले 15 साल में भारत की दूध उत्पादन में 4.9 सीएजीआर की वृद्धि हुई है जबकि अमेरिका के लिए यह दर 2.3 और यूरोपीय यूनियन के लिए 1.3 रही है। जबकि आस्ट्रेलिया 0.5 और नीदरलैंड 2.7 में दूध उत्पादन की सीएजीआर वृद्धि हुई है। वहीं इसकी वैश्विक दूध उत्पादन की सीएजीआर वृद्धि 1.9 फीसदी रही है। सही मायने में विश्व में दूध उत्पादन वृद्धि का एक बड़ा कारण भारत में दूध उत्पादन की अधिक वृद्धि दर होना है।
भारत में दूध उत्पादन के इस चमत्कारिक प्रदर्शन की वजह बताते हुए डॉ. सोढ़ी ने कहा कि इसके पीछे भारत में छोटे दूध उत्पादकों के संगठित होने से बना इकोसिस्टम मुख्य वजह है। भारत में डेयरी पर निर्भरत 10 करोड़ लोगों में अधिकांश छोटे डेयरी किसान हैं। इसके साथ ही भारत की दूध सप्लाई चेन विश्व में सबसे बेहतर एफिशिएंट सिस्टम है। भारतीय सहकारी क्षेत्र से दूध और दुग्ध उपभोक्ता द्वारा चुकाए जाने वाले हर रुपये में से 80 से 86 पैसे किसानों को मिलते हैं। वहीं न्यूजीलैंड में यह हिस्सेदारी 30 फीसदी ईयू में 40 और आस्ट्रेलिया में 27 फीसदी है। यानी भारत में किसानों को मिलने वाला बेहतर दाम उनको अधिक उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करता है। भारत में उपभोक्ता को किफायती कीमतों पर दूध और दुग्ध उत्पाद मिलने से मांग बढ़ी है और इसके लिए बेहतर उत्पादकता, क्वालिटी सिस्टम और लागत में किफायत मुख्य वजह रहे हैं।
अमूल के बारे में उन्होंने कहा कि अगले 25 साल में अमूल की दूध खरीद पांच करोड़ टन तक पहुंच जाएगी और यह बाजार में आने वाले उत्पादन की 11.5 फीसदी होगी। इसमें अमूल की सीएजीआर वृद्धि 7.1 फीसदी होगी। वहीं अमूल का कारोबार 10 फीसदी सीएजीआर वृद्धि के साथ 70 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। जो इस समय 8.3 अरब डॉलर पर है।
डेयरी सेक्टर के सामने आने वाली चुनौतियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उत्पादकता बढ़ाना एक बड़ी चुनौती है वहीं प्लांट आधारित उत्पादों के विकल्प भी एक चुनौती की तरह डेयरी क्षेत्र के सामने होंगे। भारत के लिए शहरी आबादी बढ़ने और ग्रामीण आबादी कम होने से उत्पादक कम होंगे जबकि उपभोक्ता अधिक हो जाएंगे। इसके साथ ही हमें नई पीढ़ी को अधिक दूध और दुग्ध उत्पादों का उपभोग करने के लिए प्रेरित करना होगा।