पिछले तीन महीनों में अरहर और उड़द की थोक कीमतों में लगभग 10 फीसदी की गिरावट आई है, लेकिन इसका असर खुदरा कीमतों पर नहीं पड़ा है, जिससे उपभोक्ताओं को राहत नहीं मिल पा रही है। इसे देखते हुए केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय की सचिव निधि खरे ने मंगलवार को रिटेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर त्योहारी सीजन में दालों की महंगाई रोकने के उपायों पर चर्चा की।
बैठक में केंद्रीय उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा कि प्रमुख मंडियों में अरहर और उड़द की थोक कीमतों में पिछले तीन महीनों में 10 फीसदी की कमी आई है, लेकिन खुदरा बाजार में इसके दाम अब भी बढ़ रहे हैं। खरे ने दालों की खुदरा और थोक कीमतों में बढ़ते अंतर और अनुचित मार्जिन को लेकर रिटेल कंपनियों को आगाह करते हुए कहा कि इस पर नजर रखी जा रही है। अगर यह अंतर बढ़ता है तो सरकार को आवश्यक कदम उठाने पड़ेंगे।
दालों की उपलब्धता और थोक कीमतों में कमी के मद्देनजर उपभोक्ता मामलों की सचिव ने रिटेल इंडस्ट्री से दालों की कीमत कम रखने में सरकार का सहयोग करने को कहा है। खासतौर पर भारत दाल के वितरण में एनसीसीएफ और नेफेड के साथ मिलकर काम करने का सुझाव दिया है। बैठक में आरएआई के अधिकारियों के अलावा रिलायंस रिटेल लिमिटेड, विशाल मार्ट, डी मार्ट, स्पेंसर और मोर रिटेल के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, इस साल खरीफ सीजन में दालों की बुवाई का क्षेत्र पिछले साल से करीब 7 फीसदी अधिक है और फसल भी अच्छी हो रही है। खरीफ उड़द और मूंग की आवक बाजारों में शुरू हो गई है, जबकि घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए पूर्वी अफ्रीकी देशों और म्यांमार से तुअर और उड़द का आयात लगातार हो रहा है। उपभोक्ता मामलों की सचिव का कहना है कि देश में दालों की पर्याप्त उपलब्धता है।