अल-नीनो के मजबूत होने के चलते मानसून के दूसरे हिस्से (अगस्त-सितंबर) में देश के ज्यादातर इलाके सामान्य से कम बारिश से जूझ रहे हैं। अगस्त महीने में अब तक जहां सामान्य से 29 फीसदी कम बारिश हुई है, वहीं 26 अगस्त तक मानसून की कुल बारिश सामान्य से 7 फीसदी कम रही है। उत्तर पश्चिमी भारत को छोड़कर बाकी सभी इलाकों में कम बारिश हुई है। पूरे देश में अब तक सबसे कम बारिश केरल में हुई है, जबकि दक्षिण-पश्चिम मानसून जून में सबसे पहले यहीं दस्तक देता है और उसके बाद धीरे-धीरे जुलाई की शुरुआत तक पूरे देश में छा जाता है।
भारत मौसम विभाग (आईएमडी) के 26 अगस्त तक के आंकड़ों के मुताबिक, केरल में इस बार सामान्य से 47 फीसदी कम बारिश हुई है। देश के ऐसे शीर्ष 10 इलाकों में दूसरे नंबर पर लक्षद्वीप है जहां 35 फीसदी कम तीसरे नंबर पर झारखंड है जहां 34 फीसदी कम बारिश हुई है। चौथे नंबर पर रायलसीमा का इलाका है जहां 30 फीसदी कम और पांचवें नंबर पर दक्षिण कर्नाटक का अंदरूनी इलाका है जहां 29 फीसदी कम बारिश हुई है। छठे नंबर पर संयुक्त रूप से बिहार, पश्चिम बंगाल का मैदानी इलाका (गंगेटिक पश्चिम बंगाल), पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा है जहां सामान्य से 25 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है।
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, टॉप-10 की सूची में सातवें नंबर पर मध्य महाराष्ट्र (-21 फीसदी), आठवें पर मराठवाड़ा (-18 फीसदी) और नौवें नंबर पर छत्तीसगढ़ (-15 फीसदी) है। दसवें नंबर पर संयुक्त रूप से तटीय कर्नाटक और असम एवं मेघालय है जहां सामान्य से 15 फीसदी कम बारिश हुई है।
इसके अलावा पश्चिमी मध्य प्रदेश (-13 फीसदी), गुजरात रीजन (-10 फीसदी), ओडिशा (-9 फीसदी), विदर्भ (-9 फीसदी), तमिलनाडु एवं पुडुचेरी (-9 फीसदी), उत्तरी कर्नाटक का अंदरूनी इलाका (-9 फीसदी), पूर्वी मध्य प्रदेश (-7 फीसदी), अरुणाचल प्रदेश (-7 फीसदी) और तटीय आध्र प्रदेश (-6 फीसदी) ऐसे इलाके हैं जहां मानसून की बारिश सामान्य से कम हुई है।
आईएमडी के मुताबिक, उत्तर पश्चिमी भारत में अब तक सामान्य से 8 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। जबकि पूर्वी एवं उत्तर पूर्वी भारत में सामान्य से 17 फीसदी कम और मध्य भारत में सामान्य से 6 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गई है। दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में सामान्य से 16 फीसदी कम वर्षा हुई है। जिन इलाकों में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है उनमें पहले नंबर पर सौराष्ट्र एवं कच्छ (+65 फीसदी), दूसरे नंबर पर पश्चिम राजस्थान (+52 फीसदी) और तीसरे नंबर पर हिमाचल प्रदेश (+38 फीसदी) है।