खाद्य महंगाई को काबू में रखने के लिए केंद्र सरकार एक के बाद एक फैसले कर रही है। इसी के तहत के अब गेहूं भंडारण की सीमा को 2000 टन से घटाकर 1000 टन कर दिया है ताकि बाजार में गेहूं की बेहतर उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है और 31 मार्च, 2024 तक प्रभावी रहेगा। इसके अलावा, खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत हर हफ्ते (बुधवार) होने वाली गेहूं की नीलामी के तहत की जाने वाली पेशकश की मात्रा को भी 3 लाख टन से बढ़ाकर 4 लाख टन कर दिया गया है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में बताया कि व्यापारियों, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़े रिटेल चेन और प्रोसेसर्स के लिए गेहूं भंडारण की सीमा के 12 जून, 2023 के आदेश को संशोधित कर दिया गया है। नए आदेश के मुताबिक, व्यापारियों और थोक विक्रेताओं के लिए गेहूं भंडारण की सीमा 1000 टन निर्धारित की गई है। वहीं, खुदरा विक्रेताओं और बड़े रिटेल चेन के प्रत्येक आउटलेट के लिए भंडारण सीमा 10 टन से घटाकर 5 टन कर दी गई है। आटा मिलों और अन्य प्रोसेसर्स के लिए यह सीमा उनकी कुल मासिक क्षमता का 70 फीसदी तय की गई है। पहले यह 75 फीसदी था।
बयान में कहा गया है कि नोटिफिकेशन जारी होते समय अगर किसी व्यापारी, रिटेल चेन या प्रोसेसर्स के पास तय सीमा से अधिक गेहूं है, तो उसका निपटान 30 दिन के भीतर किया जाना जरूरी है।
बयान के मुताबिक, ओएमएसएस के तहत की जाने वाली गेहूं की ई-नीलामी की हफ्तेवार मात्रा को बढ़ाकर 4 लाख टन कर दिया गया है। ओएमएसएस के तहत केंद्रीय पूल से जनवरी-मार्च 2024 तक अतिरिक्त 25 लाख टन गेहूं की बिक्री खुले बाजार में की जा सकती है, जो बाजार की जरूरत पर निर्भर करेगा। इस योजना के तहत भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) अब तक 44.65 लाख टन गेहूं बाजार में उतार चुका है।