केंद्रीय और राज्यों की एजेंसियों की ओर से की जा रही गेहूं की सरकारी खरीद की रफ्तार सुस्त हो गई है। चालू मार्केटिंग सीजन 2023-24 के 21 मई तक गेहूं खरीद 341.50 लाख टन के लक्ष्य के मुकाबले 261.44 लाख टन पर पहुंच गई है। केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले मार्केटिंग सीजन 2022-23 की इसी अवधि तक 181.58 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। हालांकि, पिछले साल कुल खरीद ही 187.92 लाख टन रही थी, जबकि लक्ष्य 444 लाख टन का रखा गया था।
एफसीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 21 मई, 2023 तक केंद्रीय पूल के लिए सबसे ज्यादा गेहूं पंजाब में खरीदा गया है। पंजाब में इस अवधि तक 121.19 लाख टन खरीद हुई है, जबकि लक्ष्य 132 लाख टन का है। दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश है जहां 70.81 लाख टन की खरीद हुई है जो 80 लाख टन के लक्ष्य से करीब 10 लाख टन पीछे है। तीसरे नंबर पर रहे हरियाणा में 63.17 लाख गेहूं खरीदा गया है। यहां 75 लाख टन का लक्ष्य रखा गया है।
लक्ष्य के मुकाबले उत्तर प्रदेश में बहुत कम खरीद हुई है। यहां 35 लाख टन के लक्ष्य के मुकाबले आंकड़ा 10 फीसदी पर भी नहीं पहुंच पाया है। यहां का आंकड़ा मुश्किल से 2 लाख टन के पार पहुंचा है। जबकि गेहूं उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर आता है। बाजार के जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में निजी व्यापारी गेहूं की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ज्यादा दे रहे हैं। इसलिए किसान सरकारी खरीद केंद्रों की बजाय निजी व्यापारियों का रुख कर रहे हैं। यही वजह है कि इन राज्यों में गेहूं खरीद लक्ष्य से काफी पीछे। केंद्र सरकार ने चालू मार्केटिंग सीजन के लिए गेहूं का एमएसपी 2,125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। सरकारी केंद्रों पर इसी दर से खरीद हो रही है, जबकि निजी व्यापारी इससे ज्यादा कीमत पर किसानों से गेहूं खरीद रहे हैं। अच्छी गुणवत्ता वाले गेहूं का दाम 2200-2400 रुपये प्रति क्विंटल तक किसानों को मिल रहा है।
राजस्थान में 5 लाख टन लक्ष्य के मुकाबले 82.6 फीसदी खरीद हुई है। 21 मई तक यहां 4.13 लाख टन गेहूं खरीद हो गई है। बिहार में 10 लाख टन लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 539 टन और हिमाचल प्रदेश में 30 हजार टन के लक्ष्य की तुलना में 2,825 टन गेहूं खरीदा गया है। जबकि उत्तराखंड में 2 लाख टन के लक्ष्य की तुलना में 189 टन खरीद हुई है।