गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध का असर घरेलू बाजार में इसकी कीमतों पर दिखने लगा है। देश के कुछ हिस्सों में गेहूं की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे आ गई है, जबकि कई रोज पहले तक जब निर्यात की अनुमति थी, तब भाव एमएसपी से काफी ऊपर चल रहे थे। कीमतों में आई इस गिरावट से किसानों को नुकसान तो हो ही रहा है, वे ट्रेडर भी परेशान हैं जिन्होंने निर्यात करने के उद्देश्य से गेहूं खरीद कर अपने पास रखा हुआ था। सेंट्रल पूल में सबसे अधिक योगदान करने वाले पंजाब में गेहूं की कीमत एमएसपी से थोड़ी ऊपर चल रही है। इस बीच पंजाब और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों की मंडियों में गेहूं की आवक अब बहुत कम रह गई है।
रबी मार्केटिंग सीजन 2022-23 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विटंल है। लेकिन मध्य प्रदेश की बीना मंडी में मिल ग्रेड गेहूं की कीमत एमएसपी से नीचे चली गई है। वहां 1950 प्रति क्विंटल तक गेहूं बिक रहा है। मध्य प्रदेश के मशहूर सरबती गेहूं की कीमतों में भी गिरावट आई है। देवास मंडी में इसके भाव 2400 रुपए प्रति क्विंटल तक चले गए थे जो अब 2200 रुपए रह गए हैं।
मध्य भारत कंसोर्सियम ऑफ फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के सीईओ योगेश द्विवेदी ने रूरल वॉयस को बताया कि निर्यात पर पाबंदी से मध्य प्रदेश के भी ट्रेडर्स परेशान हैं। उन्होंने काफी मात्रा में गेहूं खरीदा था। उन्होंने बताया कि कांडला बंदरगाह पर मध्य प्रदेश के ट्रेडर्स के तीन हजार गेहूं लदे ट्रक खड़े हैं। उनके निर्यात को लेकर अभी तक स्थिति असमंजस में है जबकि दूसरी ओर ट्रेडर्स को ट्रकों का भाड़ा देना पड़ रहा है। निर्यात पर पाबंदी के फैसले के खिलाफ को मध्य प्रदेश की मंडियों में 2 दिन की हड़ताल चल रही है जो गुरुवार को खत्म होगी।
मंगलवार को सरकार ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध के अपने आदेश में कुछ ढील दी थी। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि जहां कहीं भी गेहूं की खेपों को जांच के लिए सीमा शुल्क विभाग को सुपुर्द कर दिया गया है और जो उनकी प्रणाली में 13 मई को या उससे पहले पंजीकृत कर लिए गए हैं, वैसी खेपों को निर्यात किए जाने की अनुमति होगी। इससे पहले 13 मई को ही वाणिज्य विभाग के विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने गेहूं निर्यात पर तत्काल प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया था।
इस बीच, मध्य प्रदेश के अलावा पंजाब की मंडियों में भी गेहूं की आवक बहुत कम रह गई है। इसलिए यहां की मंडियों में खरीद बहुत कम हो रही है। दाम बढ़ने की उम्मीद में कुछ किसानों ने गेहूं का स्टॉक अपने पास रखा हुआ है। अभी यह की मंडियों में जो गेहूं आ रहा है निजी ट्रेडर उसे 2025 से 2050 रुपए प्रति क्विंटल तक के भाव पर खरीद रहे हैं और क्वालिटी के हिसाब से अधिकतम कीमत 2100 रुपए प्रति क्विंटल तक मिल रही है। श्रीगंगानगर मंडी में भी आवक कम है वहां दिन में लगभग 5500 क्विंटल गेहूं ही आ रहा है। श्रीगंगानगर मंडी में गेहूं 2015 से लेकर 2182 रुपए प्रति क्विंटल तक के भाव बिका है।
उधर, पंजाब और हरियाणा के अलावा मध्य प्रदेश में भी गेहूं के उत्पादन में गिरावट का अंदेशा है। द्विवेदी ने बताया कि यहां जिन लोगों ने पहले गेहूं की बुवाई की थी उन्हें तो नुकसान नहीं है लेकिन जिन किसानों ने देर से बुवाई की उनका उत्पादन 10 फ़ीसदी तक कम रहने का अंदेशा है। हाल ही वाणिज्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा कि गेहूं उत्पादन में कोई बड़ी गिरावट का अंदेशा नहीं है।
मार्च और अप्रैल में अचानक तापमान बढ़ने से खासकर उत्तरी राज्यों में गेहूं के दाने सिकुड़ गए। देश के कई हिस्सों के किसानों का कहना है कि उनका उत्पादन 15 से 25 फीसदी तक गिर गया। हालांकि सरकार ने गेहूं उत्पादन के अनुमान में सिर्फ 5.7 फीसदी कटौती की है। पहले 11.13 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान था, जिसे घटाकर 10.5 करोड़ टन किया गया है। 2020-21 में 10.96 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ था।