देश में इस साल मानसून की अच्छी बारिश हुई है, जिससे प्रमुख जलाशयों का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। मानसून की शुरुआत में देश के 150 प्रमुख जलाशयों का जलस्तर पिछले साल के मुकाबले 21 फीसदी तक कम था, लेकिन मानसून के दूसरे हिस्से में हुई अधिक बारिश के चलते अब जल स्तर पिछले साल के मुकाबले 28.71 फीसदी तक बढ़ गया है। इससे रबी सीजन में फसलों के लिए अच्छी संभावना बन गई है। देश में कई हिस्सों में जलाशयों के पानी का इस्तेमाल खेती और सिंचाई जैसे कार्यों के लिए किया जाता है। इस वर्ष अच्छी बारिश के चलते जलाशयों में जल अच्छे स्तर पर पहुंच गया है, जिससे आगामी रबी सीजन में फसलों की सिंचाई में पानी की कमी नहीं होगी और पर्याप्त पानी उपलब्ध रहेगा।
पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा शामिल हैं। सीडब्ल्यूसी की निगरानी में यहां 50 जलाशय हैं जिनकी कुल संग्रहण क्षमता 37.357 बीसीएम है। 12 सितंबर तक इन जलाशयों में 33.526 बीसीएम पानी था, जो कुल क्षमता का 90 फीसदी है। पिछले साल इसी समय पर जलस्तर 75 फीसदी था और सामान्य स्तर 73 फीसदी था। इस साल का जलस्तर पिछले साल और सामान्य स्तर दोनों से बेहतर है।
मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। सीडब्ल्यूसी की निगरानी में यहां 26 जलाशय हैं जिनकी कुल संग्रहण क्षमता 48.227 बीसीएम है। 12 सितंबर 2024 तक इन जलाशयों में 42.808 बीसीएम पानी था, जो कुल क्षमता का 89 फीसदी है। पिछले साल इसी समय पर जलस्तर 76 फीसदी था और सामान्य स्तर 77 फीसदी था। इस साल का जलस्तर पिछले साल और सामान्य स्तर दोनों से बेहतर है।
दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं। सीडब्ल्यूसी की निगरानी में यहां 43 जलाशय हैं जिनकी कुल संग्रहण क्षमता 54.634 बीसीएम है। 12 सितंबर तक इन जलाशयों में 48.158 बीसीएम पानी था, जो कुल क्षमता का 88 फीसदी है। पिछले साल इसी समय पर जलस्तर 49 फीसदी था और सामान्य स्तर 65 फीसदी था। इस साल का जलस्तर पिछले साल और सामान्य स्तर दोनों से बेहतर है।