एक महीने पहले तक पेयजल और सिंचाई के लिए पानी की कमी की चिंता अब कुछ हद तक कम होती नजर आ रही है। मानसून सीजन के दूसरे हिस्से में हुई अच्छी बारिश के कारण देश के प्रमुख जलाशयों का जल स्तर बढ़ गया है। केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के अनुसार, 16 अगस्त तक देश के 150 प्रमुख जलाशयों में जल स्तर 124.016 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) दर्ज किया गया, जो उनकी कुल क्षमता का 69 फीसदी है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 10 फीसदी अधिक है।
पिछले साल इसी अवधि में इन जलाशयों में उपलब्ध संग्रहण 111.85 बीसीएम था जबकि सामान्य तौर पर इन जलाशयों में 108.79 बीसीएम पानी रहता है। इस प्रकार जलाशयों का जल स्तर पिछले साल के मुकाबले 10.8 फीसदी (करीब 11 फीसदी) और सामान्य जल संग्रह के मुकाबले 13.9 फीसदी (करीब 14 फीसदी) तक बढ़ा है। हालांकि, उत्तरी क्षेत्र के जलाशयों में जल स्तर पिछले वर्ष की तुलना में अभी भी 29 फीसदी कम है, जो चिंता का विषय है।
उत्तरी क्षेत्र में सबसे ज्यादा कमी
देश के प्रमुख जलाशयों में जल स्तर की स्थिति में भले ही सुधार हुआ हो, लेकिन उत्तरी क्षेत्र के जलाशयों में जल स्तर अभी भी पिछले वर्ष की तुलना में 29 फीसदी कम है। केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान के जलाशय सबसे अधिक प्रभावित हैं। इन जलाशयों में केवल 51 फीसदी पानी उपलब्ध है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में जल स्तर 88 फीसदी था, जो इस वर्ष 29 फीसदी की कमी को दर्शाता है।
अन्य क्षेत्रों की स्थिति
पूर्वी क्षेत्र के जलाशयों में कुल क्षमता का केवल 53 फीसदी पानी मौजूद है। इस क्षेत्र में असम, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, नागालैंड और बिहार जैसे राज्य शामिल हैं। सीडब्ल्यूसी की निगरानी में यहां 23 जलाशय आते हैं, जिनकी कुल संग्रहण क्षमता 20.430 बीसीएम है। वर्तमान में इन जलाशयों में 10.814 बीसीएम पानी उपलब्ध है, जो कुल क्षमता का 53 फीसदी है। पिछले वर्ष इसी अवधि में जलाशयों में 14 फीसदी पानी था, और इस वर्ष यह संग्रहण 6 फीसदी बढ़ा है।
पश्चिमी क्षेत्र की स्थिति अन्य क्षेत्रों से काफी बेहतर है। यहां के जलाशयों में कुल संग्रहण क्षमता का 94 फीसदी पानी है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 54 प्रतिशत अधिक है। इन क्षेत्रों के जलाशयों का जल स्तर इस साल उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। जिसमें गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्य शामिल हैं।
मध्य क्षेत्र के जलाशयों में अभी 72 फीसदी पानी उपलब्ध है। यह पिछले वर्ष के 69 फीसदी जल स्तर से 15 फीसदी अधिक है, जो इस क्षेत्र में जल संग्रहण की स्थिति में सुधार दर्शाता है। इन क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ शामिल हैं।