डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के तहत अमेरिका भारत पर कृषि क्षेत्र को अधिक आयात के लिए खोलने का दबाव बनाने लगा है। अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हावर्ड लटनिक ने भारत से अपने कृषि क्षेत्र को खोलने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि यह बंद नहीं रह सकता। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब वाशिंगटन अमेरिकी मेवे, फल और पोल्ट्री के लिए भारतीय बाजार में अधिक पहुंच की मांग कर रहा है। दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ताएं भी जारी हैं।
हावर्ड लटनिक ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में कहा, भारतीय कृषि बाजार को खुलना होगा। आप इसे कैसे करते हैं और किस पैमाने पर करते हैं, हो सकता है कोटा के माध्यम से, हो सकता है सीमाएं तय करके…। आप इसे अधिक स्मार्ट तरीके से कर सकते हैं।
द्विपक्षीय व्यापार समझौते की वकालत करते हुए लटनिक ने इस बात पर जोर दिया कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी उपभोक्ता अर्थव्यवस्था (अमेरिका) के साथ गठबंधन करके बड़े लाभ प्राप्त कर सकता है। उन्होंने एक "भव्य सौदे" का प्रस्ताव दिया, जिसके तहत भारत अमेरिका से आयात पर शुल्क कम करेगा और बदले में अमेरिका के साथ गहरा आर्थिक सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि भारत अमेरिकी वस्तुओं पर शुल्क कम करे, और अमेरिका भारत को एक असाधारण अवसर प्रदान करेगा।
गौरतलब है कि अमेरिका 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की तैयारी कर रहा है। इसे देखते हुए भारत कुछ अमेरिकी कृषि उत्पादों पर शुल्क में कटौती करने पर विचार कर रहा है ताकि तनाव कम किया जा सके और व्यापार वार्ता को सुगम बनाया जा सके। खबरों के मुताबिक अमेरिका से अखरोट, बादाम, सेब और क्रैनबेरी पर आयात शुल्क कम या समाप्त करने के लिए वार्ताएं चल रही हैं।
फिलहाल भारत बादाम पर 42-120%, सेब पर 50% और अखरोट पर 100-120% के बीच टैरिफ लगाता है। भारत अमेरिकी चेरी और क्रैनबेरी पर भी शुल्क में कटौती करने पर विचार कर रहा है, जिन पर वर्तमान में 30% आयात शुल्क है। भारत ने वित्त वर्ष 2025 के अप्रैल-नवंबर में अमेरिका से 61.45 करोड़ डॉलर के बादाम, 2.25 करोड़ के सेब और 66.8 लाख डॉलर के क्रैनबेरी का आयात किया।
लटनिक ने ब्रिक्स गठबंधन में भारत की भूमिका पर भी चर्चा की, जिसमें ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। उन्होंने बीजिंग द्वारा प्रस्तावित एक साझा ब्रिक्स मुद्रा की ओर इशारा किया, जिसे ट्रंप अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को कमजोर करने के प्रयास के रूप में देखते हैं। लटनिक ने कहा, "ये चीजें भारत के प्रति हमारे संबंधों को कमजोर करती हैं। हम चाहते हैं कि ये चीजें समाप्त हों व्यापार अधिक निष्पक्ष हो। हम भारत के साथ अविश्वसनीय और मजबूत संबंध बनाना चाहते हैं।"