केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को किसानों और कृषि क्षेत्र से जुड़े विभिन्न हितधारकों के साथ आगामी बजट को लेकर विचार-विमर्श किया। नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में हुई बजट-पूर्व बैठक में किसान संगठनों, कृषि उद्यमियों, उद्योग प्रतिनिधियों तथा अन्य हितधारकों ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सभी सुझावों का हम गंभीरता से अध्ययन कर वित्त मंत्री को अवगत कराएंगे। साथ ही, कृषि क्षेत्र से जुड़े सभी पक्षों से लगातार संवाद करते रहेंगे। चौहान ने बैठक में शामिल प्रतिनिधियों से कहा कि कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय बजट प्रस्ताव तैयार करने के लिए आंतरिक रूप से भी गहन अध्ययन कर रहा है। किसानों के हित में और क्या-क्या कार्य किए जा सकते है, इस पर अध्ययन-मनन किया जा रहा है।
कृषि मंत्री के साथ बैठक में शामिल हुए भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने रूरल वॉयस को बताया कि उन्होंने एक समग्र पंचवर्षीय किसान नीति बनाने का सुझाव दिया है जो केवल उत्पादन आधारित न होकर कृषि व किसानों के कल्याण पर आधारित हो। उन्होंने अपने 15 सूत्री सुझाव पत्र में एमएसपी को लागत सी2 का डेढ़ गुना तय करने, इसमें फसल कटाई के बाद के खर्च व जोखिम को शामिल करने, किसानों को 1% ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने, किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाकर 6 लाख रुपये करने, फसल बीमा योजना में किसान को इकाई मानने, छोटे किसानों के लिए प्रीमियम राशि शून्य करने व कंपनियों की जवाबदेही तय करने जैसे कई सुझाव दिए।
धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि एमएसपी से कम दाम पर कृषि उत्पादों का आयात नहीं होना चाहिए और कृषि निर्यात पर प्रतिबंध आपात स्थिति में ही लगाने चाहिए। साथ ही कृषि उपकरणों तथा खेती में प्रयुक्त होने वाले वस्तुओं पर जीएसटी समाप्त करना चाहिए।
बैठक में कृषि क्षेत्र में वैल्यू एडिशन, कृषि उपज के निर्यातकों के लिए सुविधाएं बढ़ाने, कृषि अनुसंधान का विस्तार करने, कृषि आदानों की कीमत पर नियंत्रण एवं गुणवत्ता तथा किसानों को नुकसान से बचाने आदि के संबध में सुझाव प्राप्त हुए। इस अवसर पर कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी, मंत्रालय व आईसीएआर के वरिष्ठ अधिकारी, नाबार्ड, सीआईआई, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स, एसोचैम, भारतीय स्टेट बैंक और सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।