संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) ने छोटे किसानों की सहायता करने के लिए कृषि और खाद्य प्रणालियों में डाटा आधारित नवाचारों का सह-निर्माण करने के तहत एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस एमओयू के तहत दोनों संगठन उत्पाद विकास, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और कृषि नीतियों के निर्माण का समर्थन करने के लिए ओपन-सोर्स डेटा साझा करके छोटे किसानों के जीवन और आजीविका को बेहतर बनाने के लिए काम करेंगे। एमओयू पर नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक संजीव रोहिल्ला और यूएनडीपी की डिप्टी रेजिडेंट रिप्रेजेंटेटिव इसाबेल सान ने हस्ताक्षर किए।
एमओयू के तहत यूएनडीपी कृषि निवेश में डेटा-संचालित निर्णय लेने के नाबार्ड के एजेंडे को सहयोग देने के लिए खुले नवाचारों, डेटा सहयोग, डेटा विज्ञान दृष्टिकोण और वैश्विक जानकारी में अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठाएगा। इसमें डीआईसीआरए (डाटा इन क्लाइमेट रेजिलिएंट एग्रीकल्चर) जैसे सहयोगी डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं को बढ़ाना और प्रसारित करना शामिल है। डीआईसीआरए एक सहयोगी डिजिटल सार्वजनिक वस्तु है जो जलवायु लचीली कृषि से संबंधित प्रमुख भू-स्थानिक डेटासेट तक खुली पहुंच प्रदान करती है।
कृषि में सार्वजनिक निवेश की जानकारी देने के लिए यूएनडीपी और साझेदार संगठनों द्वारा डीआईसीआरए बनाया गया है। यह पहले से भारत के 5 करोड़ हेक्टेयर कृषि भूमि के लिए जलवायु लचीलेपन की जानकारी प्रदान करता है। इस साझेदारी के तहत इसके उपयोग को बढ़ाने के लिए नाबार्ड यूएनडीपी के तकनीकी समर्थन से डीआईसीआरए प्लेटफॉर्म की देखरेख और रखरखाव करेगा। साथ ही नीति निर्माण, अनुसंधान और विकास गतिविधियों के लिए अपने प्रमुख भू-स्थानिक डेटासेट का उपयोग करेगा। इस पांच वर्षीय तकनीकी सहयोग की परिकल्पना सामूहिक जलवायु कार्रवाई को बढ़ावा देने, ग्रामीण भारत में आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ाने के लिए नया मंच प्रदान करने और नए उत्पाद की पेशकश के लिए की गई है।
नाबार्ड के अध्यक्ष शाजी केवी ने इस एमओयू पर कहा, “नाबार्ड यूएनडीपी के साथ इस सहयोग को लेकर बेहद उत्साहित है। यह दोनों संगठनों के लिए डेटा का लाभ उठाने और किसानों के विशाल ग्रामीण समुदाय के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के रूप में पेश करने के अवसरों को खोलता है। जैसे-जैसे हम प्रगति कर रहे हैं हम यूएनडीपी के साथ मजबूत संबंधों की आशा कर रहे हैं। यह समझौता ज्ञापन इसी दिशा में एक कदम है।''
यूएनडीपी की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए डिप्टी रेजिडेंट रिप्रेजेंटेटिव इसाबेल सान ने कहा, “भारत में आजीविका का सबसे बड़ा स्रोत कृषि है जिसमें 80 फीसदी ग्रामीण महिलाएं कार्यरत हैं, जो जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील है। डीआईसीआर उन खेतों की पहचान करने के लिए अत्याधुनिक डेटा विज्ञान और मशीन लर्निंग का उपयोग करता है जो जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीले हैं और जो अत्यधिक असुरक्षित हैं। इस तरह के खुले डेटा नवाचार बेहतर प्रथाओं को उजागर कर सकते हैं, कृषि निवेश को अनुकूलित कर सकते हैं और आबादी को जोखिम से बचा सकते हैं। नाबार्ड के साथ सहयोग से स्थायी कृषि पद्धतियों के निर्माण और छोटे किसानों, विशेषकर महिलाओं की असुरक्षा को कम करते हुए आजीविका सुरक्षित करने में हमारा सहयोग मजबूत होगा।''
यह साझेदारी यूएनडीपी और नाबार्ड के डेटा संसाधनों को बढ़ाने, वाटरशेड प्रबंधन, सूक्ष्म सिंचाई, गोदाम अनुकूलन और जलवायु संबंधी पहल जैसे विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के बारे में निर्णय लेने के लिए समय के साथ कृषि रुझानों का विश्लेषण करने में भी मदद करेगी।