खुले बाजार में गेहूं की उपलब्धता बढ़ाने और गेहूं की कीमतों को स्थिर रखने के लिए सरकार खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत केंद्रीय पूल से ई-नीलामी कर रही है। 31 मार्च, 2024 तक चलने वाली इस नीलामी में प्रत्येक नीलामी के लिए गेहूं की मात्रा को 2 लाख टन से बढ़ाकर 3 लाख टन कर दिया गया है। साथ ही, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा की जा रही इस नीलामी में 1 नवंबर से खरीदार 200 टन तक के लिए बोली लगा सकेंगे। पहले यह मात्रा अधिकतम 100 टन तक थी।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के एक बयान में बिक्री और बोली के लिए गेहूं की मात्रा बढ़ाने संबंधी जानकारी दी गई है। चावल, गेहूं और आटे की खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप की सरकार की पहल के तहत गेहूं और चावल दोनों की साप्ताहिक ई-नीलामी आयोजित की जाती है। 2023-24 की 18वीं ई-नीलामी 26 अक्टूबर को आयोजित की गई थी। इस दौरान देश भर के 444 डिपो से 2.01 लाख टन गेहूं की बिक्री की गई।
बयान के मुताबिक, ई-नीलामी में गेहूं के लिए 2763 सूचीबद्ध खरीददारों ने भाग लिया और 2318 सफल बोली लगाने वालों को 1.92 लाख टन गेहूं बेचा गया। एफएक्यू गेहूं के लिए भारित औसत विक्रय मूल्य 2251.57 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जबकि आरक्षित मूल्य 2150 रुपये प्रति क्विंटल था। यूआरएस गेहूं का भारित औसत बिक्री मूल्य आरक्षित मूल्य 2125 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले 2317.85 रुपये प्रति क्विंटल था।
स्टॉक की जमाखोरी से बचने के लिए बड़े व्यापारियों को ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री से बाहर रखा गया है। ओएमएसएस के तहत गेहूं खरीदने वाले प्रोसेसरों की आटा मिलों पर नियमित जांच भी की जा रही है। 26 अक्टूबर तक देशभर में 1627 जांच किए जा चुके है।