डीएपी की कीमतों में भारी बढ़ोती के कारण पैदा हुए राजनीतिक दबाव और किसानों की नाराजगी को कम करने के लिए 19 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) पर सब्सिडी में 14 हजार रुपये प्रति टन की भारी बढ़ोतरी का फैसला लिया गया। इसके तहत डीएपी पर मिलने वाली सब्सिडी 24,231 रुपये प्रति टन हो गई है। किसानों को डीएपी 1200 रुपये प्रति बैग (50 किलो) पर ही मिलेगा। लेकिन उर्वरक विभाग द्वारा 20 मई, 2021 को न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी (एनबीएस) स्कीम के तहत सब्सिडी दरों का जो नोटिफिकेशन जारी किया गया है उसमें केवल फॉस्फेट (पी) पर ही सब्सिडी में बढ़ोतरी की गई है। बाकी न्यूट्रिएंट नाइट्रोजन (एन), पोटाश (के) और सल्फर (एस) के लिए सब्सिडी में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। जबकि इन सभी न्यूट्रिएंट के लिए कच्चे माल की कीमतों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले कुछ माह में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस स्थिति में डीएपी को छोड़कर बाकी कॉम्प्लेक्स उर्वरकों और खासतौर से म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) की कीमत का मुद्दा पेचीदा हो गया है। कुछ कंपनियों ने इसकी कीमत में फरवरी बढ़ोतरी की थी। साथ ही बाकी न्यूट्रिएंट के बढ़े दामों के चलते कंपनियां दाम बढ़ाएंगी या यह बोझ खुद वहन करेंगी इसका आने वाले दिनों में पता लगेगा।
उर्वरक विभाग द्वारा 20 मई,2021 की शाम को जारी नोटिफिकेशन में एनबीएस के तहत नाइट्रोजन (एन), फॉस्फेट (पी), पोटाश (के) और सल्फर (एस) के लिए प्रति किलो सब्सिडी के रेट घोषित किये गये हैं। नई सब्सिडी दरों के तहत फॉस्फेट पर सब्सिडी को 14.888 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 45.323 रुपये प्रति किलो कर दिया गया है। नाइट्रोजन, पोटाश और सल्फर पर सब्सिडी को 3 अप्रैल, 2020 को जारी नोटिफिकेशन के स्तर पर ही रखा गया है। 20 मई को जारी नोटिफिकेशन में नाइट्रोजन (एन) पर सब्सिडी 18.789 रुपये प्रति किलो, पोटाश (के) पर 10.116 रुपये प्रति किलो और सल्फर (एस) पर 2.374 रुपये किलो ही रखी गई है।
सरकार द्वारा 20 मई, 2021 को जारी अधिसूचना के मुताबिक नई सब्सिडी दरों के तहत 18 फीसदी एन और 46 फीसदी पी से बनने वाले डीएपी पर 24,231 रुपये प्रति टन की सब्सिडी दी जाएगी जबकि इसके पहले 10231 रुपये प्रति टन की सब्सिडी मिलती थी। वहीं 60 फीसदी पोटाश वाले एमओपी पर सब्सिडी को 6070 रुपये प्रति टन के पुराने स्तर पर ही रखा गया है। जिन कॉम्प्लेक्स उर्वरकों में फॉस्फेट (पी) का इस्तेमाल है उन सभी की सब्सिडी दरों में बढ़ोतरी हुई है जो फॉस्फेट पर सब्सिडी में भारी बढ़ोतरी के चलते है। इसके साथ ही अधिसूचना में कहा गया है कि नई सब्सिडी दरें अधिसूचना जारी होने के दिन से लागू हैं। यह चालू खरीफ सीजन के लिए हैं और 31 अक्तूबर, 2021 तक लागू रहेंगी। इसके पहले की तिथि तक पुरानी सब्सिडी दरें ही लागू मानी जाएंगी। इसके साथ ही एनबीएस के तहत दो और कॉम्प्लेक्स उर्वरकों को शामिल करने के चलते इनकी संख्या 24 हो गई है। इसके पहले 22 कॉम्प्लेक्स उर्वरकों पर एनबीएस के तहत सब्सिडी मिलती थी।
अक्तूबर,2020 से अभी तक डीएपी की आयातित कीमतें 395 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 572 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई हैं। इस दौरान यूरिया की कीमत 275 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 365 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई हैं। एमओपी कीमत 230 डॉलर प्रति टन 280 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई हैं। वहीं कच्चे माल में अमोनिया की कीमत 280 डॉलर से 550 डॉलर प्रति टन और सल्फर की कीमत 85 डॉलर से बढ़कर 210 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई है। फॉस्फोरिक एसिड की आयातित कीमतें जुलाई- सितंबर,2020 की तिमाही में 620 डॉलर प्रति टन थी जो अब बढ़कर 998 डॉलर प्रति पर पहुंच गई हैं।
एनपीके उर्वरकों की कीमतों को लेकर नोटिफिकेशन में साफ किया गया है कि कंपनियों को एमआरपी के बारे में विभाग को सूचित करना होगा और उर्वरक के बैग पर सब्सिडी को भी अंकित करना होगा।
उद्योग सूत्रों ने बातचीत में रुरल वॉयस को बताया है कि एमओपी की कीमत में करीब 50 डॉलर प्रति टन की बढ़ोतरी हुई है। इसका मौजूदा स्थिति में कैसे समायोजन किया जाएगा यह देखना होगा क्योंकि इससे उत्पादक कंपनियों के मार्जिन पर दबाव आ गया है। एमओपी बेचने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार इंडियन पोटाश लिमिटेड (आईपीएल) ने फरवरी में एमओपी कीमतों में बढ़ोतरी की थी। दाम बढ़ोतरी के बाद आईपीएल के एमओपी के बैग (50 किलो) की कीमत एक हजार रुपये है। इसलिए आने वाले दिनों में कंपनी बहुत जल्द कोई बढ़ोतरी करेगी इसकी संभावना काफी कम है। अन्य कंपनियों के एमओपी बैग की कीमत भी एक हजार रुपये है।
वहीं एक अन्य सूत्र का कहना है कि केवल पी पर सब्सिडी बढ़ाने से उन कॉम्प्लेक्स उर्वरकों में जहां पी का हिस्सा कम है कंपनियों के ऊपर दबाव आएगा। इसमें पहले अधिकांश कंपनियां मार्जिन पर ही दबाव झेलेंगी और कीमतों में इजाफे का विकल्प अंतिम ही होगा।
अब यह देखना होगा कि सरकार द्वारा केवल फॉस्फेट की सब्सिडी बढ़ाई गई तो कॉम्प्लेक्स उर्वरकों में इस्तेमाल होने वाले नाइट्रोजन, पोटाश और सल्फर की कीमतों में वृद्धि को उद्योग कैसे समायोजित करता है या यह कीमत किसानों के लिए उर्वरकों के दाम बढ़ाकर हासिल की जाएगी। अगर इनमें से किसी भी उर्वरक की कीमत में बढ़ोतरी होती है तो सरकार द्वारा डीएपी पर बढ़ाई गई सब्सिडी के बावजूद किसानों की कुछ नाराजगी बरकरार रह सकती है।