अंकटाड ने भारत की विकास दर अनुमान को बढ़ाकर किया 6.6 फीसदी, पहले 6 फीसदी ग्रोथ का लगाया था अनुमान

संयुक्त राष्ट्र के व्यापार और विकास सम्मेलन (अंकटाड) ने भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर अनुमान में 0.6 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। अंकटाड की ताजा रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2023 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.6 फीसदी रहेगी। इससे पहले अप्रैल में अंकटाड ने 6 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान लगाया था। हालांकि, रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2024 में देश की वृद्धि धीमी होकर 6.2 फीसदी रह जाएगी। यह रिपोर्ट विश्व बैंक द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की अर्थव्यवस्था के 6.3 फीसदी की दर से बढ़ने के अनुमान के एक दिन बाद आई है। 2022-23 में भारत की वृद्धि दर 7.2 फीसदी रही थी।

संयुक्त राष्ट्र के व्यापार और विकास सम्मेलन (अंकटाड) ने भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर अनुमान में 0.6 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। अंकटाड की ताजा रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2023 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.6 फीसदी रहेगी। इससे पहले अप्रैल में अंकटाड ने 6 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान लगाया था। हालांकि, रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2024 में देश की वृद्धि धीमी होकर 6.2 फीसदी रह जाएगी। यह रिपोर्ट विश्व बैंक द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की अर्थव्यवस्था के 6.3 फीसदी की दर से बढ़ने के अनुमान के एक दिन बाद आई है। 2022-23 में भारत की वृद्धि दर 7.2 फीसदी रही थी।

अंकटाड द्वारा जारी व्यापार और विकास रिपोर्ट 2023 में चेतावनी दी गई है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो रही है। पिछले साल की तुलना में अधिकांश क्षेत्रों में विकास धीमा हो गया है। केवल कुछ ही देश इस प्रवृत्ति से आगे निकल रहे हैं। पूर्वी और मध्य एशिया को छोड़कर पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था 2022 के बाद से धीमी हो गई है। अंकटाड ने अनुमान लगाया है कि 2023 में विश्व आर्थिक उत्पादन की वृद्धि घटकर 2.4 फीसदी रह जाएगी, लेकिन 2024 में इसमें मामूली वृद्धि दर्ज की जाएगी और यह 2.5 फीसदी रहेगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था एक चौराहे पर खड़ी है, जहां अलग-अलग विकास पथ, बढ़ती असमानताएं, बढ़ती बाजार एकाग्रता और बढ़ते कर्ज का बोझ भविष्य पर प्रभाव डाल रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने की संभावना कम हो रही है क्योंकि बढ़ती ब्याज दरों, कमजोर मुद्राओं और धीमी निर्यात वृद्धि  से सरकारों के लिए जलवायु परिवर्तन से लड़ने और अपने लोगों को देने के लिए आवश्यक राजकोषीय गुंजाइश कम हो रही है। रिपोर्ट में नीतिगत दिशा में बदलाव का आह्वान किया गया है जिसमें अग्रणी केंद्रीय बैंक भी शामिल हैं।

रिपोर्ट में दुनिया के देशों से वैश्विक वित्तीय सुधारों, मुद्रास्फीति, असमानता और संप्रभु कर्ज संकट से निपटने के लिए अधिक व्यावहारिक नीतियों और प्रमुख बाजारों की मजबूत निगरानी का किया गया है। साथ ही वित्तीय स्थिरता हासिल करने, उत्पादक निवेश को बढ़ावा देने और ज्यादा नौकरियां पैदा करने के लिए राजकोषीय, मौद्रिक और आपूर्ति-पक्ष उपायों के संतुलित नीति मिश्रण का उपयोग करके वैश्विक अर्थव्यवस्था को सही दिशा में आगे बढ़ाने की बात कही गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व स्तर पर कोविड-19 महामारी के बाद रिकवरी अलग-अलग है। इसमें कहा गया है- "हालांकि ब्राजील, चीन, भारत, जापान, मैक्सिको, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कुछ अर्थव्यवस्थाओं ने 2023 में लचीलापन दिखाया है, जबकि अन्य को अधिक कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है"। जिनेवा स्थित संगठन ने कहा कि भारत में निजी और सरकारी क्षेत्र के साथ-साथ बाहरी क्षेत्र ने घरेलू विकास में योगदान दिया है। इसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया कि भारत की 10 सबसे बड़ी कंपनियों का कुल निर्यात में 8 फीसदी हिस्सा है।