त्रिपुरा की रानी अनानास सहित पूर्वोत्तर में उगाई जाने वाली 13 फलों और सब्जियों को जीआई टैग मिला है। केंद्रीय उत्तर-पूर्व क्षेत्र विकास मंत्रालय के अधीन आने वाले पूर्वोत्तर क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम (एनईआरएएमएसी) के इस ऐतिहासिक पहल के तहत पूर्वोत्तर के 800 किसानों को जीआई टैग का इस्तेमाल करने के लिए अधिकृत किया गया है। इन फलों और सब्जियों पर इन किसानों का बौद्धिक संपदा अधिकार के तहत विशेष दावा है।
जीआई टैग किसी भी वस्तुओं या उत्पादों के उत्पादन और विशिष्ट विशेषताओं की गारंटी देता है। यह उन उत्पादों को वैश्विक रूप से प्रतिष्ठित बनाने में मदद करता है। केंद्र सरकार की इस एजेंसी द्वारा समूहों में काम करने वाले इन किसानों को अपने सर्टिफिकेशन का इस्तेमाल करने के लिए अधिकृत करने से अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजारों में पूर्वोत्तर के इन अनूठे उत्पादों के प्रचार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
त्रिपुरा की रानी अनानास के अलावा जिन अन्य कृषि उत्पादों को जीआई टैग मिला है उनमें अरुणाचल का संतरा, मिजो मिर्च, कचाई नींबू, खासी मंदारिन, तेजपुर लीची, सिक्किम की बड़ी इलायची, कार्बी आंगलोंग की अदरक, नागा ट्री टोमैटो, 'चक-हाओ' ब्लैक राइस, मेमांग नारंग, डल्ले खुर्सानी और नागा मीठी ककड़ी शामिल हैं।
एनईआरएएमएसी के प्रबंध निदेशक कमोडोर राजीव अशोक (सेवानिवृत्त) ने कहा, "इस पहल से पूर्वोत्तर के कृषि उत्पादों के अद्वितीय गुणों और प्रतिष्ठा को मान्यता मिलेगी और उन्हें दुरुपयोग और नकल से बचाएगी। जीआई टैग पूर्वोत्तर क्षेत्र की पारंपरिक कृषि पद्धतियों और उत्पादों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।" उन्होंने कहा कि किसानों को अधिकार देने की प्रक्रिया घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में किसानों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाएगी। यह उनकी आमदनी और आजीविका में वृद्धि के अवसर पैदा करेगी।
प्रसिद्ध जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत द्विवेदी ने पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) के विशिष्ट जीआई उत्पादों के महत्व को बताते हुए इन्हें बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जीआई विशिष्ट उत्पाद न केवल इन उत्पादों की विशिष्ट पहचान और गुणवत्ता की रक्षा करते हैं बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करते हैं।