मई में व्यापार घाटा बढ़कर 23.78 बिलियन डॉलर रहा, निर्यात 9 फीसदी और आयात 7.7 फीसदी बढ़ा

मई में देश का मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट बढ़कर 23.78 बिलियन डॉलर हो गया है। जबकि अप्रैल में ये 19.1 बिलियन डॉलर था। वहीं, निर्यात में 9 फीसदी और आयात में 7.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

मई 2024 में भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 23.78 बिलियन डॉलर पहुंच गया है, जो अप्रैल में 19.1 बिलियन डॉलर था। गुरुवार को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, मई 2024 में व्यापारिक निर्यात 9.10 फीसदी बढ़ा है, जबकि आयात में 7 फीसदी का उछाल आया है। मई 2024 में व्यापारिक निर्यात 38.13 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जबकि मई 2023 में यह 34.95 बिलियन अमरीकी डॉलर था। इसी तरह, मई 2024 में व्यापारिक आयात 61.91 फीसदी रहा, जो मई 2023 मे 57.48 फीसदी था। ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा-प्लास्टिक समेत पेट्रोलियम, इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स का एक्सपोर्ट और इंपोर्ट बढ़ाने से ट्रेड डेफिसिट में वृद्धि हुई है। 
 
मई में गैर-पेट्रोलियम और आभूषणों का आयात बढ़कर 41.97 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जबकि 8.83 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ कुल निर्यात 28.60 बिलियन अमरीकी डॉलर दर्ज किया गया। इसी तरह, पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात मई 2024 में बढ़कर 6.78 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जबकि आयात बढ़कर 1.99 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा। इंजीनियरिंग प्रॉडक्ट्स का निर्यात मई 2024 में 9.99 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा। वहीं, मई 2024 में इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स का कारोबार (निर्यात) 2.97 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जबकि आयात 71.49 बिलियन अमरीकी डॉलर दर्ज किया गया। इसके अलावा, ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल्स का निर्यात मई 2024 में 2.30 बिलियन अमरीकी डॉलर, रेडीमेड कपड़ों का निर्यात 1.36 बिलियन अमरीकी डॉलर, प्लास्टिक और लिनोलियम निर्यात 0.76 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा। 

मई 2024 के लिए भारत का कुल निर्यात (माल और सेवाएं) 68.29 बिलियन अमरीकी डॉलर होने का अनुमान है, जो मई 2023 की तुलना में 10.25 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दिखाता है। मई 2024 के लिए कुल आयात (माल और सेवाएं) 79.20 बिलियन अमरीकी डॉलर होने का अनुमान है। जिसमें मई 2023 की तुलना में 7.95 फीसदी की वृद्धि हुई है।

वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने इन आंकड़ों के बारे में कहा कि निर्यात के नजरिये से मई महीना उत्कृष्ट रहा है। एक्‍सपोर्ट में बढ़ोतरी एक संकेत है कि एडवांस इकोनॉमी वाले देशों में महंगाई कम हुई है। उन्होंने कहा कि उन देशों में महंगाई का प्रेशर कम होने के साथ ही कंज्‍यूमर्स की परचेजिंग पावर भी बढ़ी है, जो उनके यहां इंपोर्ट को बढ़ावा देगी। ये हमारे लिए पॉजिटिव साइन है, जो आगे भी जारी रहने की उम्‍मीद है>