टमाटर के दाम शिखर से घटकर पूर्व स्तर पर पहुंचने के बावजूद दालों, प्याज और जीरा की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी ने भारतीय थाली को फीका कर दिया है। कृषि उपज मंडियों में मूंग की कीमत बढ़कर 11,000 रुपये प्रति क्विंटल, चने की थोक कीमत 6,500 रुपये और अरहर की थोक कीमत 16,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर गई है। इसी तरह, जीरा थोक में 60,000 हजार रुपये और खुदरा में 80-90 हजार रुपये प्रति क्विंटल पर बिक रहा है। वहीं प्याज भी टमाटर की तरह महंगा होता जा रहा है।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त में शाकाहारी थाली की कीमत 24 फीसदी और मांसाहारी थाली की कीमत 13 फीसदी बढ़ी है। शाकाहारी थाली की कीमत में 24 फीसदी की बढ़ोतरी में से 21 फीसदी का कारण टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी रही है। अगस्त में इसकी कीमत सालाना आधार पर 176 फीसदी बढ़कर 102 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई जो एक साल पहले 37 रुपये प्रति किलो थी।
सालाना आधार पर प्याज के दाम 8 फीसदी, मिर्च के 20 फीसदी और जीरे के दाम में 158 फीसदी की वृद्धि हुई है। मांसाहारी थाली के दाम में वृद्धि थोड़ी धीमी रही क्योंकि ब्रॉयलर चिकन की कीमत जो थाली की लागत का 50 फीसदी से अधिक है, में सालाना आधार पर 1-3 फीसदी बढ़ी है।
हालांकि, वनस्पति तेल की कीमत में 17 फीसदी और आलू की कीमत में 14 फीसदी की गिरावट से दोनों थालियों की कीमतों में वृद्धि की दर कुछ हद तक कम हो गई है। सितंबर में लागत में कुछ कमी और देखने को मिल सकती है क्योंकि टमाटर की खुदरा कीमत पिछले महीने की तुलना में आधी घटकर 51 रुपये प्रति किलो हो गई है। साथ ही 14.2 किलोग्राम वाले एलपीजी सिलेंडर की कीमत जो अगस्त में 1,103 रुपये थी, सितंबर में घटकर 903 रुपये प्रति सिलेंडर हो गई है। इससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
क्रिसिल के मुताबिक, घर पर थाली तैयार करने की औसत लागत की गणना उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में प्रचलित इनपुट कीमतों के आधार पर की जाती है। कीमतों में मासिक परिवर्तन आम आदमी के खर्च पर प्रभाव को दर्शाता है। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि थाली की कीमत में बदलाव लाने वाले तत्व अनाज, दालें, ब्रॉयलर चिकन, सब्जियां, मसाले, खाद्य तेल एवं रसोई गैस हैं।