केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा है कि तापमान सामान्य से थोड़ा अधिक रहने के बावजूद गेहूं की फसलों को नुकसान होने की संभावना नहीं है। उन्होंने भरोसा जताया कि चालू फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में 11.2 करोड़ टन गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध के बारे में उन्होंने कहा कि यह अभी जारी रहेगा। इससे गेहूं की सरकारी खरीद की उपलब्धता बढ़ेगी। सरकार 2023-24 विपणन वर्ष (अप्रैल-मार्च) में लगभग 3.41 करोड़ टन गेहूं की खरीद करेगी। रबी की प्रमुख फसल गेहूं की अधिकांश खरीद अप्रैल और जून के बीच होती है।
संजीव चोपड़ा ने बताया कि कि खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के जरिये गेहूं की बिक्री से घरेलू कीमतों में कमी आई है। नई फसल आने के बाद कीमतों में और गिरावट आएगी। गेहूं की घरेलू कीमतें बढ़ने के बाद सरकार ने 25 जनवरी को ओएमएसएस के तहत आटा मिलों, गेहूं उत्पाद निर्माताओं, बड़े व्यापारियों जैसे थोक खरीदारों, नेफेड, केंद्रीय भंडार, एनसीसीएफ एवं राज्य सरकार की एजेंसियों को केंद्रीय पूल से गेहूं की बिक्री करने का फैसला किया था। सरकार कुल 50 लाख टन गेहूं की बिक्री केंद्रीय पूल से कर रही है। इसमें से 45 लाख टन गेहूं की बिक्री भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ई-नीलामी के जरिये थोक खरीदारों को कर रहा है। अब तक 23.47 लाख गेहूं की बिक्री ई-नीलामी के जरिये की जा चुकी है।
नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद चोपड़ा ने बताया कि हमने बुधवार को राज्य के खाद्य सचिवों के साथ एक बैठक की थी। इसके बाद राज्य के खाद्य मंत्रियों के साथ बैठक हुई। बैठक में हमने पाया कि देश में खाद्य परिदृश्य बहुत ही आरामदायक है।
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मौसम विभाग ने मौसम की स्थिति को लेकर प्रेजेंटेशन दिया है। उन्होंने कहा, "मौसम विभाग ने बताया है कि अगले दो हफ्तों में गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाने वाली गर्मी की उम्मीद नहीं है। यह गेहूं के लिए महत्वपूर्ण समय है। गेहूं की फसल के लिए किसी भी प्रतिकूल परिस्थितियों की अभी कोई रिपोर्ट नहीं है।" चोपड़ा ने कहा, "अभी तापमान सामान्य से 3-4 डिग्री सेल्सियस अधिक है लेकिन इससे गेहूं की फसल को कोई नुकसान होने की संभावना नहीं है।" कृषि मंत्रालय ने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में चालू फसल वर्ष में 11.218 करोड़ टन गेहूं पैदावार का अनुमान लगाया है। गर्मी की वजह से फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में गेहूं की पैदावार घटकर 10.774 करोड़ टन रह गई थी। फसल वर्ष 2020-21 में 10.959 करोड़ टन पैदावार हुई थी।
खुले बाजार में 50 लाख टन गेहूं बेचने के सरकार के फैसले के बाद गेहूं की खुदरा कीमतों पर असर के बारे में चोपड़ा ने कहा कि कीमतों में करीब 10 फीसदी की कमी आई है। उन्होंने कहा, "मंडी की कीमतें हमारे लिए चिंता का विषय थीं जो धीरे-धीरे नीचे आ रही हैं। खुली बिक्री के बाद से गेहूं की कीमत मंडियों में 2,800 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 2,300 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई है। जब बाजार में नई फसल आनी शुरू हो जाएगी तो कीमतों में और गिरावट आएगी।"
उन्होंने बताया कि सरकार ने विपणन वर्ष 2023-24 के लिए 3.41 करोड़ टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा है। केंद्र ने विपणन वर्ष 2021-22 में लगभग 4.4 करोड़ टन की खरीद की थी लेकिन 2022-23 में यह घटकर लगभग 1.9 करोड़ टन रह गई। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए सरकार को हर महीने लगभग 15 लाख टन गेहूं की आवश्यकता होती है। बड़े व्यापारियों और कंपनियों द्वारा गेहूं की निजी खरीद के बारे में पूछे जाने पर चोपड़ा ने कहा, "चूंकि निर्यात प्रतिबंध जारी रहेगा इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि सार्वजनिक खरीद के लिए अधिक गेहूं उपलब्ध होगा। अभी निर्यात पर से पाबंदी हटाने का सरकार का कोई प्रस्ताव नहीं है।" 2022-23 में गेहूं की सरकारी खरीद कम रहने से गेहूं और आटे की घरेलू कीमतें बढ़ने लगी थी। कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए सरकार ने पिछले साल मई में गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
केंद्रीय पूल से खुले बाजार में 50 लाख टन गेहूं बिक्री करने से अब इस बात की आशंका जताई जाने लगी है कि नई फसलों की आवक होने पर कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे जा सकती है जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है। सरकार ने विपणन वर्ष 2023-24 के लिए गेहूं का एमएसपी 2,125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। ई-नीलामी के जरिये अभी जिस गेहूं की बिक्री एफसीआई कर रहा है उसका औसत बिक्री मूल्य 2,137 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। इस बारे में संजीव चोपड़ा ने कहा कि नई फसल की दरें एमएसपी के आसपास ही रहेंगी। टूटे चावल के निर्यात पर से प्रतिबंध हटाने के बारे में उन्होंने कहा कि फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के बारे में सहज महसूस होने पर ही सरकार निर्यात की अनुमति देने पर विचार करेगी।