चाय बागान मालिकों की अग्रणी संस्था इंडियन टी एसोसिएशन (आईटीए) का कहना है कि देश का चाय उद्योग गंभीर वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहा है। चाय की कीमतें बढ़ती उत्पादन लागत के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रही हैं।
आईटीए ने अपने स्टेटस पेपर 'चाय परिदृश्य 2023' में कहा है कि पिछले दशक में जहां चाय की कीमतें लगभग चार फीसदी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ी हैं, वहीं इसी अवधि के दौरान कोयला और गैस जैसे महत्वपूर्ण इनपुट की लागत में वृद्धि नौ फीसदी से बढ़कर 15 फीसदी पर पहुंच गया है। इसके अलावा, छोटे चाय उत्पादकों के उभरने के बाद उत्पादन में तेजी से वृद्धि हुई है जिसके परिणामस्वरूप अधिशेष चाय बची हुई है क्योंकि घरेलू खपत और निर्यात में इसकी तुलना में वृद्धि नहीं हुई है।
रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई गई है कि 2022 की तुलना में 2023 में चाय की कीमतों में काफी गिरावट आई है। असम चाय के लिए बिक्री संख्या 14 से 39 को कवर करने वाली सीटीसी और डस्ट टी की नीलामी कीमतें 12.49 रुपये प्रति किलो तक आ गई हैं। जबकि पश्चिम बंगाल चाय के लिए यह कीमत 11.30 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। पारंपरिक किस्म की नीलामी कीमतें भी समान बिक्री संख्या के मामले 95 रुपये प्रति किलो तक हो गई हैं।
आईटीए स्टेटस पेपर में कहा गया है कि 2022 में चाय निर्यात में सुधार के कुछ संकेत दिखे थे और यह 23.1 करोड़ किलो तक पहुंच गया था, जबकि 2023 में जनवरी से जुलाई के दौरान इसमें 26.1 लाख किलो की गिरावट आई है। निर्यात परिदृश्य गंभीर बना हुआ है क्योंकि भुगतान मामले के कारण ईरान को निर्यात में अनिश्चितता बनी हुई है। भारत से कुल चाय निर्यात में ईरान को लगभग 20 फीसदी निर्यात होता है। भुगतान संकट की वजह से निर्यातकों पर वित्तीय दबाव है और चाय के उठाव में गिरावट आई है।
उच्च निर्यात लागत को कम करने और निर्यातकों को प्रतिस्पर्धा में बने रहने में सक्षम बनाने के लिए चाय उद्योग ने सरकार से उच्च गुणवत्ता वाली सीटीसी, पारंपरिक और दार्जिलिंग चाय के लिए निर्यात उत्पादों पर शुल्क की प्रोत्साहन सीमा को बढ़ाने पर विचार करने का आग्रह किया है।