सरकार और किसानों के बीच 7 वें दौर की बातचीत में भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया। किसान कानून वापसी की मांग करते रहे जबकि सरकार कानूनों में संशोधनों के रवैये पर अड़ी रही। इसके अलावा MSP को कानूनी रूप देने के मुद्दे पर भी सहमति नहीं बन पाई। करीब 4 घंटे चली बैठक के बाद किसान बोले कि कानून वापसी नहीं तो घर वापसी भी नहीं। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ताली तो दोनों हाथ से बजती है। अब सरकार और किसानों के बीच अगली बातचीत 8 जनवरी को होगी। इस बैठक के पहले किसानों ने बार्डरों पर धरना स्थलों के बीच 7 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालने का फैसला लिया है।
कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं, आंदोलन तेज करने के लिए नई रणनीति
सरकार के मंत्रियों के साथ वार्ता के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि 8 जनवरी 2021 को सरकार के साथ फिर से बातचीत होगी। तीनों कृषि कानूनों को वापिस लेने पर और एमएसपी के मुद्दे पर 8 तारीख को फिर से बात होगी। उन्होंने कहा कि हमने सरकार को बता दिया है कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं। किसान संगठनों के एमएसपी पर लिखित आश्वासन और तीनों कृषि कानूनों को वापस करने की मांग पर सरकार ने कहा एक संयुक्त कमेटी बना देते हैं वो तय करे कि इन तीनों कानूनों में क्या क्या संशोधन किए जाने चाहिए। सरकार के इस प्रस्ताव को किसान संगठनों ने खारिज कर दिया। इसके अलावा पूरे घटनाक्रम पर चर्चा के लिए किसान मोर्चा के नेताओ की बैठक 5 जनवरी को 2 बजे सिंघु बॉर्डर पर हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में यह फैसला लिया गया।
खुले मन से हो चर्चा
कृषि मंत्री तोमर ने कहा सरकार किसान प्रतिनिधियों के साथ खुले मन से चर्चा करके समाधान के लिए हरसंभव प्रयासरत है। दोनों तरफ से कदम आगे बढ़ाने की जरूरत है। सरकार सभी सकारात्मक विकल्पों को ध्यान में रखते हुए विचार करने के लिए तैयार है। उन्होने कहा कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए कृषि सुधार कानूनों से संबंधित मुद्दे पर अन्य राज्यों के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से भी बात की जाएगी। कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि हम इन तीनों कानूनों पर बिन्दुवार चर्चा करेंगे और जिन-जिन बिन्दुओं पर आपको आपत्ति हो उन बिन्दुओं पर हम विचार करके यथा आवश्यक संशोधन करने के लिए तैयार हैं।