मौजूदा सीजन में अभी तक 382.91 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है जो पिछले साल की तुलना में 58.07 लाख टन अधिक है। चीनी मिलों के संगठन इस्मा की तरफ से जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है। इस वर्ष इथेनॉल के लिए डायवर्जन भी अधिक हुआ है। यह पिछले साल के 20 लाख टन की तुलना में इस बार 34 लाख टन है। इस तरह डायवर्जन को समायोजित करने के बाद चीनी का उत्पादन 348.83 लाख टन रहा है जो पिछले साल 304.77 लाख टन था।
महाराष्ट्र में इस साल चीनी का उत्पादन पिछले साल की तुलना में अधिक हुआ है। यहां बीते सीजन 113.28 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। इस वर्ष 15 मई तक 146.72 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। उत्तर प्रदेश में उत्पादन में गिरावट आई है। यहां अभी तक 115.60 लाख टन के मुकाबले 113.95 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है।
मौजूदा सीजन में 521 मिलों में पेराई हुई जबकि 2020-21 के दौरान 506 मिलों में पेराई हुई थी। 15 मई तक 116 चीनी मिलों में उत्पादन का काम जारी था पिछले साल सिर्फ 45 मिलों में गन्ने की पेराई चल रही थी। इनमें से ज्यादातर मिलें मई के अंत तक बंद हो जाने की उम्मीद है। चुनिंदा मिलें ही जून के पहले पखवाड़े तक चालू रहेंगी। हालांकि कर्नाटक और तमिलनाडु में विशेष सीजन होता है जो जून-जुलाई में शुरू होकर सितंबर तक चलता है। पिछले साल इस विशेष सीजन में दोनों राज्यों में 4.36 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
इस्मा के मुताबिक इस वर्ष अभी तक 85 लाख टन चीनी निर्यात के सौदे हुए हैं। इसमें से 71 लाख टन चीनी का निर्यात अप्रैल के अंत तक किया गया। पिछले साल इस अवधि में 43.19 लाख टन चीनी का निर्यात हुआ था। मई में 8 से 10 लाख टन चीनी का निर्यात होने की उम्मीद है। इस्मा को पूरे सीजन में 90 लाख टन चीनी निर्यात होने की उम्मीद है। पिछले साल 71.91 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया था।
इस बीच मौसम विभाग ने कहा है कि दक्षिण पश्चिम मानसून बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी हिस्से, अंडमान निकोबार द्वीप समूह में आगे बढ़ रहा है तथा इसके आगे बढ़ने की परिस्थितियां बेहतर हैं। मौसम विभाग ने पहले इस वर्ष मानसून की बारिश सामान्य रहने की उम्मीद जताई थी।