चालू मार्केटिंग सीजन 2021-22 में अक्टूबर से फरवरी तक देश में 252.8 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। यह पिछले साल के 234.8 लाख टन से 7.68 फीसदी ज्यादा है। चीनी मिलों के संगठन इस्मा ने यह जानकारी दी है। इस वर्ष 516 मिलों में उत्पादन शुरू किया गया था। फरवरी तक 27 मिलों में गन्ना पेराई के बाद उत्पादन बंद हो चुका था। पिछले साल 503 मिलों में चीनी उत्पादन हुआ था और फरवरी तक 99 मिलों में पेराई पूरी हो चुकी थी।
देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक उत्तर प्रदेश में इन पांच महीने में उत्पादन में गिरावट आई है। यह पिछले साल के 74.2 लाख टन के मुकाबले 68.6 लाख टन रहा है। हालांकि दूसरे सबसे बड़े उत्पादक महाराष्ट्र में अक्टूबर-फरवरी के दौरान उत्पादन 84.8 लाख टन से बढ़कर 97.1 लाख टन हो गया है। तीसरे नंबर के राज्य कर्नाटक में भी उत्पादन में वृद्धि हुई है और यह 40.8 लाख टन से बढ़कर 50.8 लाख टन हो गया है। इस्मा के मुताबिक गुजरात में इस अवधि में 7.93 लाख टन, तमिलनाडु में 4.53 लाख टन और बाकी राज्यों में 23.7 लाख टन चीनी उत्पादन हुआ है।
चीनी मिलों की एसोसिएशन के अनुसार महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की उपलब्धता पहले के अनुमान से ज्याहा है। इसलिए इन राज्यों का उत्पादन अनुमान भी बढ़ाया गया है। उत्तर प्रदेश के अनुमान में कोई खास बदलाव नहीं है। 2021-22 के मार्केटिंग सीजन में देश में कुल उत्पादन का अनुमान बढ़ाकर 333 लाख टन किया गया है। इस सीजन के अंत, यानी सितंबर में 68 लाख टन का क्लोजिंग स्टॉक रहने की उम्मीद है।
इस्मा के अनुसार चालू मार्केटिंग सीटन में चीनी निर्यात 15.38 फीसदी बढ़कर 75 लाख टन रहने की संभावना है। फरवरी तक 60 लाख टन निर्यात सौदे के एवज में 42 लाख टन का निर्यात किया गया है। पहले अक्टूबर-सितंबर तक चलने वाले 2021-22 मार्केटिंग सीटन में 60 लाख टन चीनी निर्यात का अनुमान था। लेकिन अंतरराष्ट्रीय चीनी संगठन (आईएसओ) ने इस वर्ष विश्व बाजार में 19.3 लाख टन की कमी रहने का अंदेशा जताया है। मार्च में भारत से 12 से 13 लाख टन चीनी और निर्यात होने की संभावना है। इस तरह मार्च तक 54 से 55 लाख टन चीनी का निर्यात हो जाएगा।