इस्मा ने 2021-22 के लिए चीनी उत्पादन के अपने अनुमान में भी संशोधन किया है। एथनॉल के लिए 34 लाख टन चीनी के बराबर डायवर्जन के बाद 2021-22 में 350 लाख टन चीनी उत्पादन की उम्मीद की जा रही है। ज्यादा उत्पादन की मुख्य वजह प्रति हेक्टेयर ज्यादा गन्ने का उत्पादन और गन्ने से चीनी की ज्यादा रिकवरी है। हाल के कई वर्षों में गन्ने का रकबा कमोबेश एक समान रहा है। बेहतर बीज मिलने, समय पर खाद और पानी देने तथा बेहतर मानसून के कारण उत्पादकता और चीनी रिकवरी में वृद्धि हुई है।
एथनॉल उत्पादन के बाद महाराष्ट्र में इस वर्ष 134 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है। पिछला अनुमान 126 लाख टन का था। इसी तरह कर्नाटक में 55 लाख टन के पिछले अनुमान की तुलना में 62 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है। उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में मामूली संशोधन की उम्मीद है। इन राज्यों में 154 लाख टन चीनी उत्पादन की उम्मीद की जा रही है, जबकि पिछला अनुमान 152 लाख टन का था।
मार्च महीने के अंत तक देश में 310 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। इस दौरान महाराष्ट्र में 119 लाख टन और कर्नाटक में 58 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया। महाराष्ट्र में अभी 167 चीनी मिलें चालू हैं। कर्नाटक में भी 21 मिलों में गन्ने की पेराई जारी है। चीनी मिलों के संगठन इस्मा ने यह जानकारी दी है।
शुक्रवार को इस्मा की बैठक भी हुई जिसमें चीनी की रिकवरी, किन इलाकों में गन्ने की फसल खड़ी है, विभिन्न राज्यों में कब तक चीनी मिलों में पेराई बंद हो सकती है जैसे मसलों पर चर्चा हुई। महाराष्ट्र और कर्नाटक में पहले जितना अनुमान था उससे कहीं अधिक गन्ना उपलब्ध हुआ है।
जहां तक निर्यात की बात है, तो अभी तक 74 लाख टन चीनी निर्यात के सौदी हुए हैं। इसमें से 31 मार्च 2022 तक 57 लाख टन चीनी का निर्यात किया जा चुका है। अप्रैल में 7 से 8 लाख टन और चीनी का निर्यात के जाने की उम्मीद है। विश्व बाजार को इस वर्ष भारत से 85 लाख टन चीनी निर्यात किए जाने की उम्मीद है। हालांकि इस्मा की बैठक में अनुमान व्यक्त किया गया कि भारत से मौजूदा सीजन में 90 लाख टन से अधिक चीनी का निर्यात किया जा सकता है।
चीनी वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक माना जाता है। 1 अक्टूबर 2021 को 82 लाख टन चीनी का पुराना स्टॉक था। साल भर में 272 लाख टन चीनी की घरेलू खपत, 90 लाख टन चीनी के निर्यात और 350 लाख टन उत्पादन के अनुमान को देखते हुए 30 सितंबर 2022 को चीनी वर्ष के अंत में 68 लाख टन का क्लोजिंग स्टॉक रहने की उम्मीद है।