मानसून के कमजोर रहने के चलते चालू पेराई सीजन (2023-24) में पिछले साल के मुकाबले चीनी उत्पादन में करीब 41 लाख टन की गिरावट का अनुमान है। चीनी उद्योग के ताजा अनुमान के मुताबिक, कुल उत्पादन 290 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि चालू साल में देश में चीनी खपत भी 285 लाख टन रहने का अनुमान है। पिछले साल चीनी उत्पादन 330.90 लाख टन रहा था। इसके चलते जहां घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें तेज रहेंगी, वहीं निर्यात की संभावना लगभग न के बराबर रह गई है। चीनी उत्पादन में गिरावट की बड़ी वजह महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ना उत्पादन में आई कमी है।
चीनी उत्पादन के अलावा इस साल (2023-24) करीब 40 लाख टन चीनी का डायवर्जन एथेनॉल बनाने के लिए होगा। पिछले सीजन में 44 लाख टन चीनी का डायवर्जन एथेनॉल उत्पादन के लिए किया गया था। इस तरह, अगर एथेनॉल के लिए डायवर्जन की जाने वाली चीनी को जोड़ लें तो उसके समेत उत्पादन करीब 330 लाख टन रहेगा।
चीनी उद्योग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 20 लाख टन घटकर 85 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले सीजन (2022-23) में 105.30 लाख टन रहा था। हालांकि, दूसरे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन पिछले साल से बेहतर रहने का अनुमान है। इस साल उत्तर प्रदेश का चीनी उत्पादन 110 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल 104.80 लाख टन रहा था। इसके चलते उत्तर प्रदेश तीन साल बाद फिर से चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य बन जाएगा।
वहीं अनुपात के हिसाब से चीनी उत्पादन में सबसे अधिक गिरावट कर्नाटक में रहेगी। कर्नाटक में पिछले सीजन (2022-23) में 59.80 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ, जिसके चालू साल (2023-24) में गिरकर 38 लाख टन रह जाने का अनुमान है। कर्नाटक में चीनी उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले यह गिरावट 36 फीसदी बैठती है।
चीनी उद्योग से जुड़े एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने रूरल वॉयस को बताया कि अल-नीनो की वजह से महाराष्ट्र और कर्नाटक में कमजोर मानसून के चलते गन्ना उत्पादन में गिरावट आई है। वहां पेराई सीजन में भी देरी हुई है। हालांकि, उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और पंजाब में उत्पादन में सुधार के चलते महाराष्ट्र और कर्नाटक में उत्पादन में होने वाली गिरावट की कुछ भरपाई हो जाएगी। इसके बावजूद कुल उत्पादन घरेलू खपत से मामूली रूप से ही अधिक होगा। इसके चलते चीनी की कीमतें मजबूत बनी रहेंगी और किसानों को भी गन्ना का बेहतर दाम मिलने की संभावना अधिक रहेगी।
चालू सीजन के अंत में बकाया स्टॉक 59 लाख टन रहने का अनुमान है। पिछले साल का बकाया स्टॉक 57 लाख टन रहा था। वहीं 2024-25 में सीजन के अंत में चीनी का बकाया स्टॉक 44 लाख टन रहने का अनुमान उद्योग ने लगाया है। उद्योग के मुताबिक, पिछले सीजन में चीनी की खपत 280 लाख टन रही थी जिसके चालू सीजन (2023-24) में 287 लाख टन और अगले साल 285 लाख टन रहने का अनुमान है। वहीं पिछले सीजन में देश से 64 लाख टन चीनी का निर्यात हुआ था, जबकि चालू सीजन में अभी एक लाख टन चीनी के निर्यात का उद्योग का आंकड़ा है। हालांकि, उद्योग सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से उत्पादन की स्थिति बन रही है उसके चलते चीनी निर्यात की संभावन न के बराबर है।
सरकार ने अक्टूबर 2022 में चीनी निर्यात को मुक्त निर्यात से रेस्ट्रिक्टेड लिस्ट में डाल दिया था। उसके बाद इसे इस साल अक्टूबर में अगले एक साल के लिए रेस्ट्रिक्टेड सूची में ही रखने का फैसला लिया है।