गन्ना के दाम बढ़ने और कम निर्यात के बावजूद चीनी मिलों का परिचालन मुनाफा प्रभावित नहीं होगा: क्रिसिल

गन्ना के दाम बढ़ने और चीनी का कम निर्यात होने के बावजूद घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में वृद्धि और एथेनॉल की बढ़ती बिक्री से वित्त वर्ष 2023-24 में चीनी मिलों का परिचालन मुनाफा प्रभावित नहीं होगा। इससे एकीकृत चीनी मिलों या उन मिलों जिनमें चीनी उत्पादन के अलावा डिस्टिलरी और बिजली उत्पादन की सुविधा है उन्हें स्थिर परिचालन मुनाफा कमाने में मदद मिलेगी।

चालू चीनी वर्ष में कम उत्पादन होने की वजह घरेलू दाम में 5 फीसदी की वृद्धि हुई है।

गन्ना के दाम बढ़ने और चीनी का कम निर्यात होने के बावजूद घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में वृद्धि और एथेनॉल की बढ़ती बिक्री से वित्त वर्ष 2023-24 में चीनी मिलों का परिचालन मुनाफा प्रभावित नहीं होगा। इससे एकीकृत चीनी मिलों या उन मिलों जिनमें चीनी उत्पादन के अलावा डिस्टिलरी और बिजली उत्पादन की सुविधा है उन्हें स्थिर परिचालन मुनाफा कमाने में मदद मिलेगी।

पिछले दो वित्त वर्ष से घरेलू बाजार में चीनी के दाम 32 रुपये प्रति किलो पर स्थिर थे जो इस साल मार्च और जून के बीच लगभग 5 फीसदी बढ़कर 34 रुपये प्रति किलो हो गई है। घरेलू कीमतों में वृद्धि की मुख्य वजह चीनी का उत्पादन कम होना है। महाराष्ट्र और कर्नाटक के प्रमुख गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में बेमौसम बारिश के कारण चालू चीनी सीजन (अक्टूबर 2022-सितंबर 2023) में कुल उत्पादन लगभग 7 फीसदी कम होने का अनुमान है।

क्रिसिल रेटिंग ने एक बयान में कहा है कि थोड़े समय तक चीनी की कीमतें इस स्तर पर रहने की उम्मीद है क्योंकि अगले चीनी वर्ष में एथेनॉल के लिए ज्यादा डायवर्जन (40 लाख टन की तुलना में 50 लाख टन) की वजह से चीनी के वास्तविक उत्पादन (एथेनॉल के लिए डायवर्जन के बाद) में मामूली वृद्धि होने की ही उम्मीद है।

आवश्यक वस्तु होने के नाते चीनी की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला - जिसमें गन्ने का खरीद मूल्य, मासिक चीनी वितरण की मात्रा, वार्षिक निर्यात कोटा और एथेनॉल की कीमतें शामिल हैं - सरकार द्वारा विनियमित होती हैं। यहां तक ​​कि निर्यात की मात्रा चीनी उत्पादन (एथेनॉल के लिए डायवर्जन के बाद), घरेलू खपत और स्टॉक बरकरार रखने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की जाती है।

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने हाल ही में अगले सीजन के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 3.5 फीसदी बढ़ाकर 315 रुपये प्रति क्विंटल करने की घोषणा की है। एथेनॉल की कीमतें जो आमतौर पर गन्ने की कीमतों में वृद्धि के अनुसार समायोजित की जाती हैं, में भी जल्दी ही मामूली वृद्धि होने की उम्मीद है।

क्रिसिल रेटिंग्स की निदेशक पूनम उपाध्याय कहती हैं, “एथेनॉल की लगातार बढ़ती मात्रा और सरकार के नीतिगत समर्थन से एथेनॉल की कीमतों में सालाना 3-4 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसकी वजह से गन्ने के ज्यादा दाम का प्रभाव कम हो जाएगा। घरेलू चीनी प्राप्तियों में हाल  में देखे गए सुधार के साथ कम निर्यात के बावजूद वित्त वर्ष 2023-24 में एकीकृत चीनी मिलों की परिचालन लाभप्रदता 11-12 फीसदी पर स्थिर रहेगी जो पिछले वित्त वर्ष में 11 फीसदी थी।

क्रिसिल ने कहा है कि जो मिलें मुख्य रूप से चीनी की बिक्री पर निर्भर हैं और जिनके पास डिस्टिलरी प्लांट नहीं हैं, उनकी परिचालन लाभप्रदता प्रभावित हो सकती है क्योंकि उन्हें चीनी की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में हालिया उछाल का फायदा नहीं मिलेगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम इस समय घरेलू कीमतों से 55 फीसदी अधिक है। चीनी मिलों ने चालू सीजन के लिए स्वीकृत 61 लाख टन के निर्यात का कोटा पहले ही पूरा कर लिया। अब इसमें बढ़ोतरी की संभावना सीमित है।

क्रिसिल रेटिंग्स के एसोसिएट डायरेक्टर अनिल मोरे कहते हैं, “हम उम्मीद करते हैं कि एकीकृत मिलर्स के लिए कर्ज की गुणवत्ता काफी हद तक 'स्थिर' रहेगी, नकदी प्रवाह सृजन स्थिर रहेगा और कार्यशील पूंजी की आवश्यकता नियंत्रण में रहेगी। एथेनॉल उत्पादन के लिए डिस्टिलरी क्षमता बढ़ाने वाले मिलों के लिए ही कर्ज का स्तर बढ़ेगा। ऐसे कर्ज के वित्त पोषण के लिए ब्याज सहायता योजना जारी रहने से उच्च ब्याज दरों के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकेगा। इससे वित्त वर्ष 2024 में ब्याज कवर में गिरावट आएगी और पिछले वित्त वर्ष के 7 गुना से घटकर 6.4 गुना तक सीमित हो जाएगी।

हालांकि, मुख्य रूप से चीनी बेचने वाली मिलों का ब्याज कवर परिचालन से कम नकदी प्रवाह के कारण प्रभावित होगा। क्रिसिल ने कहा है कि घरेलू चीनी की कीमतों में उतार-चढ़ाव, बारिश की मात्रा और जलाशयों का स्तर और गन्ने की औसत उपज पर आगे की राह निर्भर होगी।