पिछले कुछ दिनों में चीनी की कीमतों में काफी गिरावट दर्ज की गई है जिसने चीनी उद्योग की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कीमतों में गिरावट का असर गन्ना मूल्य भुगतान पर भी पड़ सकता है। महाराष्ट्र में चीनी की एक्स फ्रैक्टरी कीमतें गिरकर 33 से 34 रुपये किलो तक आ गई हैं जबकि उत्तर प्रदेश में यह कीमतें 36 से 37 रुपये किलो तक आ गई हैं। इस मुश्किल से निकलने के लिए चीनी उद्योग ने चालू पेराई सीजन (2024-25) सरकार से 20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दने की मांग की है।
पिछले इन दिनों महाराष्ट्र में चीनी की एक्स फैक्टरी कीमत 36 रुपये से अधिक थी जबकि उत्तर प्रदेश में यह 38 रुपये से अधिक थी। इंडियन शुगर एंव बॉयो इनर्जी मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन (इस्मा) की नई दिल्ली में आयोजित हुई सालाना आम बैठक (एजीएम) में निर्यात की अनुमति की मांग की गई। इस्मा के उपाध्यक्ष गौतम गोयल ने कहबा कि चीनी की कीमतों में गिरावट के चलते किसानों को समय से गन्ना मूल्य भुगतान का संकट पैदा हो सकता है।
पिछले साल उत्पादन घटने के बावजूद उद्योग का कहना है कि देश में चीनी का अधिक स्टॉक है और उसके चलते कीमतों में गिरावट आ रही है। चालू सीजन की शुरुआत 1 अक्तूबर 2024 को देश में करीब 80 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक था। वहीं इस साल करीब 325 से 330 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है। इसमें से करीब 40 लाख टन चीनी का उपयोग एथेनॉल के उत्पादन के लिए किया जाएगा। वहीं देश में चीनी की सालाना खपत करीब 285 लाख टन है। इसके बावजूद चालू साल के अंत में जो स्टॉक बचेगा वह जरूरी मात्रा से अधिक होगा। ऐसे में उद्ओग तुरंत 20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने की मांग कर रहा है। सरकार ने दो साल से चीनी के निर्यात को रेस्ट्रिक्टेड सूची में रखा हुआ है और चीनी निर्यात का कोई कोटा जारी नहीं किया है।
वहीं इस मौके पर इस्मा के अध्यक्ष एम प्रभाकर राव ने कहा कि देश में चीनी के उत्पादन की सही स्थिति जनवरी के मध्य में साफ हो जाएगी। उम्मीद है कि सरकार जनवरी में 10 लाख टन चीनी के निर्यात की इजाजत देगी। उसके बाद भी निर्यात की इतनी ही मात्रा की अनुमति दी जा सकती है। हमारे लिए यह निर्यात करने का बेहतर मौका है क्योंकि ब्राजील की चीनी मिलों में अप्रैल में उत्पादन शुरू होगा। ऐसे अब से लेकर अप्रैल तक भारतीय निर्यातकों को चीनी का अच्छा दाम मिल सकता है।