देश की चीनी मिलों ने मौजूदा सीजन में अक्टूबर 2021 से अब तक निर्यात के लिए 52.78 लाख टन चीनी उपलब्ध कराया है। ऑल इंडिया शुगर ट्रेड एसोसिएशन (एआईएसटीए) के मुताबिक इसमें से 7 मार्च तक 40.07 लाख टन चीनी का निर्यात किया जा चुका है। यह निर्यात चीनी मिलों अथवा मर्चेंट निर्यातकों ने किया है। इसके अलावा 4.94 लाख टन चीनी लोडिंग की प्रक्रिया में है। अक्टूबर से अब तक 7.77 लाख टन चीनी रिफाइनरी को उपलब्ध कराई गई है जो निर्यात के समतुल्य (डीम्ड एक्सपोर्ट) माना जाता है।
एसोसिएशन ने 2021-22 के सीजन के लिए चीनी उत्पादन और निर्यात का आउटलुक भी जारी किया है। इसके मुताबिक अभी तक 62 लाख टन चीनी निर्यात के सौदे हुए हैं। महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ना पेराई ज्यादा समय तक होने के चलते चीनी उत्पादन का अनुमान भी बढ़ाकर 335 लाख टन किया गया है।
एसोसिएशन के अनुसार रूस-यूक्रेन युद्ध से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम जो बढ़े हैं, उससे इथेनॉल बनाने वाली कंपनियों को फायदा हो सकता है। सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 139 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। महंगे आयात का असर कम करने के लिए पेट्रोल-डीजल में इथेनॉल मिश्रण का अनुपात बढ़ाया जा सकता है। इस लिहाज से इथेनॉल काफी आकर्षक हो गया है।
भारत के लिए चीनी निर्यात करना भी आकर्षक हो गया है। 4 मार्च को न्यूयॉर्क स्थित इंटरनेशनल कमोडिटी एक्सचेंज में कच्ची चीनी के भाव 19.80 सेंट प्रति पाउंड पर पहुंच गए थे। डॉलर के मुकाबले रुपया भी 77 के स्तर को पार कर चुका है। इसलिए अभी चीनी निर्यात होने पर निर्यातकों को अच्छी कमाई हो सकती है।