पराली जलाने की बढ़ती समस्या को रोकने के लिए हर साल जागरूकता अभियान चलाया गया, इसके बावजूद लोगों को इसका सामना करना पड़ता है। पराली जलाने से निकलने वाले धुएं से लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है और प्रदूषण का स्तर भी काफी खराब हो जाता है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को यह बात कही। वे दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा विकसित पूसा डीकंपोजर के किसानों द्वारा बेहतर उपयोग के उद्देश्य से पराली के कुशल प्रबंधन के लिए आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हर साल दिल्ली और आसपास पराली की चर्चा होती है। बात तो सब करते हैं, लेकिन जैसे ही सीजन खत्म होता है समाधान की चर्चा भी खत्म हो जाती है। कार्यशाला में सैकड़ों किसान मौजूद थे।
डीकंपोजर तकनीक पूसा संस्थान द्वारा यूपीएल सहित अन्य कंपनियों को हस्तांतरित की गई है, जिनके द्वारा इसका उत्पादन किया जा रहा है और किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है। पिछले तीन वर्षों में पूसा डीकंपोजर का उपयोग/प्रदर्शन यूपी में 26 लाख एकड़, पंजाब में 5 लाख एकड़, हरियाणा में 3.5 लाख एकड़ और दिल्ली में 10 हजार एकड़ में किया गया है, जिसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं। यह डीकंपोजर सस्ता है और पूरे देश में आसानी से उपलब्ध है। कृषि मंत्री ने कहा कि पराली जलाना हानिकारक है, सभी को इसे स्वीकार करना चाहिए और इसका समाधान निकालना चाहिए। समस्या का समाधान किसी से भी मिले, चाहे वह किसान हो, सरकार हो या वैज्ञानिक।
कृषि मंत्री ने कहा कि हर साल पराली जलाने की चर्चा होती है, इसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के कुछ जिले शामिल हैं। पराली जलाने पर इसका असर दिल्ली में ज्यादा होता है। इसलिए दिल्ली में पराली जलाने की चर्चा खूब हो रही है। कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य समस्या का समाधान देखने की बजाय एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप ही लगाते हैं।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार अब तक पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली को पराली की समस्या के समाधान के लिए 3000 करोड़ रुपये दे चुकी है। पंजाब को करीब 1400 करोड़, हरियाणा को 760 करोड़, उत्तर प्रदेश को 900 करोड़ और दिल्ली को 6 से 7 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इसके अलावा करीब 2 लाख मशीनें भी खरीदी जा चुकी हैं, फिर भी समस्या जस की तस है। अगर इन उपायों के बाद भी पराली जलाने में बढ़ोतरी हो रही है तो यह चिंता का विषय है। पराली प्रबंधन पर सभी हितधारकों के साथ अनेक बार बैठकें की गई हैं।
कार्यशाला में पूसा डीकंपोजर उपयोग करने वाले कुछ किसानों ने अपने अनुभव साझा किए। इन्हें बनाने वाली कंपनी ने पूसा डीकंपोजर के फायदे किसानों को बताए। केंद्रीय कृषि सचिव मनोज अहूजा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के डीडीजी (एनआरएम) डा. एस.के. चौधरी, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. अशोक कुमार सिंह ने भी कार्यशाला में संबोधित किया।