मोटा अनाज (श्री अन्न) के क्षेत्र में स्टार्टअप्स की भागीदारी लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले करीब डेढ़ वर्ष में 80 से ज्यादा स्टार्टअप्स ने इस क्षेत्र में कदम रखा है जो मिलेट्स से बने उत्पादों की बेहतर पैकिंग कर देश-विदेश में बेच रहे हैं। मिलेट्स सेक्टर में स्टार्टअप्स की इस महत्वपूर्ण वृद्धि ने सरकार का भी ध्यान खींचा है और वह इससे उत्साहित है। गौरतलब है कि यह वर्ष इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया जा रहा है।
उद्योग संगठन फिक्की द्वारा आयोजित मिलेट कॉन्क्लेव में केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की संयुक्त सचिव शुभा ठाकुर ने युवाओं की भागीदारी और मिलेट को बढ़ावा देने वाले स्टार्टअप आंदोलन पर खुशी जताते हुए मिलेट आंदोलन को भारत और विश्व स्तर पर एक जन आंदोलन बनाने के महत्व पर जोर दिया। एपीडा के सचिव डॉ. सुधांशु ने इस मौके पर बताया कि पिछले डेढ़ साल में मिलेट क्षेत्र में 80 से अधिक स्टार्टअप आए हैं। उनके उत्पादों और नवाचार को बड़ी रिटेल कंपनियों ने भी सराहा और स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि केवल बड़ी निर्यात कंपनियों पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय इस क्षेत्र में छोटे उद्यमियों और स्टार्टअप को मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करने के लिए लगातार प्रयासों की आवश्यकता है।
इस मौके पर फिक्की के राष्ट्रीय कृषि समिति के चेयरमैन और ट्रैक्टर कंपनी टैफे के ग्रुप प्रेसीडेंट टीआर केसवन ने नियमित भोजन में मिलेट्स को शामिल करने की वकालत की और किसानों के लिए पोषण मूल्य, जलवायु लचीलापन और आय सृजन सहित इसके बहुमुखी लाभों पर जोर दिया। उन्होंने खेती में चुनौतियों, मशीनीकरण की आवश्यकता और मिलेट्स को लाभदायक बनाने पर प्रकाश डाला।
सेलिब्रिटी शेफ रणवीर बरार ने अपने विशेष संबोधन में 'मिलेट ईयर 2023' अभियान का समर्थन करते हुए भारतीय व्यंजनों में मिलेट्स के इस्तेमाल को फिर से बढ़ावा देने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चावल और गेहूं के बाद मोटे अनाजों का उपयोग भारत की सभी संस्कृतियों, राज्यों और व्यंजनों में बड़े पैमाने पर किया जाता था। उन्होंने कहा, "एक शेफ के रूप में मैंने हमेशा कहा है कि एक देश के रूप में हम सभी मोटा अनाज खाकर बड़े हुए हैं और फिर हम चावल और गेहूं की ओर मुड़ गए। मुझे लगता है कि हमें सीखने की जरूरत है।" उन्होंने कहा कि यह समझने के लिए कि पारंपरिक रूप से मिलेट्स का उपयोग कैसे किया जाता था हमें अपनी जड़ों की ओर लौटने की जरूरत है।
भारत के मिलेट मैन के नाम से मशहूर डॉ. खादर वली ने अपने संबोधन में विभिन्न बीमारियों को खत्म करने में मोटा अनाज के इस्तेमाल की जोरदार वकालत की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मिलेट्स पोषण देने के अलावा वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों का एक अनूठा समाधान पेश करता है। उन्होंने कहा कि मोटा अनाज की खेती में बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है। उन्होंने मोटा अनाज के कई पारंपरिक किस्मों के लुप्त होने पर अफसोस जताया।
इस मौके पर फिक्की पीडब्ल्यूसी नॉलेज रिपोर्ट- ‘भारत के बाजरा क्षेत्र को एक स्थायी भविष्य की ओर ले जाना’ जारी की गई। पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर शशि कांत सिंह ने कहा कि इस रिपोर्ट में मिलेट्स के लिए अगले 10-15 वर्षों के नीतिगत अमल, उत्पादन पहलुओं, जागरूकता निर्माण, नवाचार और बाजार विकास की रूपरेखा तैयार की गई है। उन्होंने मिलेट्स के लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग पैदा करने की आवश्यकता पर जोर दिया और सरकार द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों की सराहना की।