खरीफ फसलों की बुवाई पिछले साल से दो फीसदी अधिक, दलहन-तिलहन और धान का रकबा बढ़ा

खरीफ फसलों की बुवाई में इस साल 2 फीसदी की वृद्धि हुई है। खरीफ का कुल रकबा 1031.56 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल 1010.52 लाख हेक्टेयर था। धान, दलहन, मोटे अनाज, और तिलहन की बुवाई में विशेष बढ़ोतरी देखी गई है, जबकि कपास और जूट की बुवाई में कमी आई है

खरीफ फसलों की बुवाई में इस वर्ष पिछले साल की तुलना में 2 फीसदी की वृद्धि हुई है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अनुसार, 20 अगस्त 2024 तक बुवाई का कुल रकबा 1031.56 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो वर्ष 2023 की इसी अवधि पर 1010.52 लाख हेक्टेयर था। इस साल विशेष रूप से धान, दलहन, मोटे अनाज और तिलहन की बुवाई में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।

धान की बुवाई वर्ष 2023 के 349.49 लाख हेक्टेयर से बढ़कर वर्ष 2024 में 369.05 लाख हेक्टेयर हो गई है। दलहन का क्षेत्र भी बढ़कर 120.18 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि वर्ष 2023 में यह 113.69 लाख हेक्टेयर था। इसमें अरहर की बुवाई 45.78 लाख हेक्टेयर, मूंग की 33.24 लाख हेक्टेयर और उड़द की 28.33 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। 

मोटे अनाज की बुवाई भी बढ़कर 181.11 लाख हेक्टेयर हो गई है, जो वर्ष 2023 में 176.39 लाख हेक्टेयर थी। इसमें मक्का की बुवाई 87.23 लाख हेक्टेयर, ज्वार की 14.62 लाख हेक्टेयर, बाजरा की 66.91 लाख हेक्टेयर और रागी की 7.56 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। 

तिलहन के तहत बुवाई 186.77 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है, जो वर्ष 2023 के 185.13 लाख हेक्टेयर से अधिक है। इसमें मूंगफली की बुवाई 46.36 लाख हेक्टेयर, सोयाबीन की बुवाई 125.11 लाख हेक्टेयर, सुजरमुखी की बुवाई 0.70 लाख हेक्टेयर और तील की बुवाई 10.55 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। 

गन्ने की खेती में मामूली वृद्धि के साथ रकबा 57.68 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि कपास की बुवाई वर्ष 2023 में 122.15 लाख हेक्टेयर से घटकर वर्ष 2024 में 111.07 लाख हेक्टेयर रह गई है। जूट और मेस्टा का रकबा भी घटकर 5.70 लाख हेक्टेयर हो गया है।