भारत की खाद्य सुरक्षा की सबसे बड़ी ताकत, देश के छोटे किसान हैं। यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीएई) के उद्घाटन अवसर पर कही। प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक और जलवायु-अनुकूल खेती को बढ़ावा देने वाले प्रयासों पर प्रकाश डाला। मोदी ने पिछले दशक में लगभग 1900 जलवायु-संवेदनशील फसल किस्मों की शुरुआत का उल्लेख किया और मणिपुर, असम और मेघालय के औषधीय गुणों से भरपूर काले चावल की भी बात की।
प्राचीन कृषि परंपराओं का महत्व
मोदी ने भारत की पुरानी कृषि परंपराओं का उल्लेख करते हुए 'कृषि पाराशर' नामक 2000 साल पुरानी किताब की बात की। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के 100 से अधिक अनुसंधान संस्थानों और 500 से ज्यादा कृषि कॉलेजों का भी जिक्र किया, जो भारत की मजबूत कृषि शिक्षा और अनुसंधान प्रणाली का हिस्सा हैं।
प्रधानमंत्री ने भारत के अनूठे कृषि परिदृश्य को रेखांकित किया, जिसमें 15 अलग-अलग कृषि-जलवायु क्षेत्र हैं। उन्होंने 65 साल पहले की खाद्य सुरक्षा की स्थिति की तुलना आज के खाद्य अधिशेष वाले भारत से की, और देश के दूध, दालों, मसालों के सबसे बड़े उत्पादक और अन्य खाद्य पदार्थों जैसे अनाज, फल, सब्जियां, कपास, चीनी, चाय, और मछली के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक के रूप में परिवर्तन पर प्रकाश डाला।
वैश्विक कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता
वैश्विक कल्याण के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, मोदी ने 'एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य', 'मिशन लाइफ' और 'एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य' जैसी पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने टिकाऊ कृषि और खाद्य प्रणाली चुनौतियों से निपटने के लिए समग्र दृष्टिकोण पर जोर दिया।
मोदी ने मिलेट (श्री अन्न) को पानी की न्यूनतम आवश्यकता और अधिक उत्पादन के कारण पोषण चुनौती के समाधान के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने भारत की मिलेट किस्मों को विश्व स्तर पर साझा करने की बात कही और पिछले वर्ष को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाने का उल्लेख किया।
कृषि में आधुनिक प्रौद्योगिकी का एकीकरण
प्रधानमंत्री मोदी ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड, सौर खेती, ई-नाम डिजिटल कृषि बाजार, किसान क्रेडिट कार्ड और पीएम फसल बीमा योजना जैसी पहलों के माध्यम से कृषि में आधुनिक प्रौद्योगिकी के एकीकरण पर विस्तार से बताया। उन्होंने सूक्ष्म सिंचाई, इथेनॉल मिश्रण और वास्तविक समय फसल सर्वेक्षण डेटा के लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसी प्रगति पर प्रकाश डाला, जो किसानों को लाभान्वित करते हैं और वैश्विक खाद्य सुरक्षा को बढ़ाते हैं।
सम्मेलन में 75 देशों के प्रतिनिधि हुए शामिल
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन के अंत में उम्मीद जताई कि आईसीएई सम्मेलन सतत कृषि-खाद्य प्रणालियों को लेकर महत्वपूर्ण वैश्विक चर्चाओं को प्रोत्साहित करेगा। सम्मेलन 7 अगस्त, 2024 तक चलेगा, जिसमें युवा शोधकर्ताओं और पेशेवरों को अपने विचार प्रस्तुत करने और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्किंग का अवसर मिलेगा। इस वर्ष का सम्मेलन "स्थायी कृषि-खाद्य प्रणालियों की ओर परिवर्तन" पर केंद्रित है, जो जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी, बढ़ती उत्पादन लागत, और संघर्ष जैसी वैश्विक चुनौतियों के बीच स्थायी कृषि की आवश्यकता को उजागर करता है। इस कार्यक्रम में 75 देशों से लगभग 1,000 प्रतिनिधि शामिल हुए।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान, नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद, सम्मेलन के अध्यक्ष प्रोफेसर मतीन कैम, और डेयर के सचिव और आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक भी इस दौरान मौजूद रहे।