इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून के केरल आने में थोड़ी देर होगी। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अपने ताजा अनुमान में कहा है कि मानसून के 4 जून तक केरल में दस्तक देने की संभावना है। इसमें चार दिन आगे-पीछे हो सकते हैं। सामान्य तौर पर 1 जून को मानसून केरल में आ जाता है। हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि देरी की वजह से खरीफ की बुवाई और मानसून की बारिश पर असर पड़ने की संभावना नहीं है। अल नीनो की स्थिति के बावजूद मौसम विभाग ने इस साल 96 फीसदी बारिश के साथ मानसून सामान्य रहने का अनुमान लगाया है।
भारत के कृषि परिदृश्य के लिए सामान्य बारिश महत्वपूर्ण है क्योंकि देश की 52 फीसदी खेती बारिश पर निर्भर है। वर्षा आधारित खेती वाले इलाकों की कुल खाद्य उत्पादन में हिस्सेदारी लगभग 40 फीसदी है जो देश की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता है। यह देश भर में बिजली उत्पादन के अलावा पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों की भरपाई के लिए भी महत्वपूर्ण है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य रूप से लगभग 7 दिनों के मानक विचलन (आगे-पीछे) के साथ 1 जून को केरल में प्रवेश करता है। मौसम विभाग ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि इस साल केरल में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत में थोड़ी देरी होने की संभावना है। केरल में मानसून की शुरुआत 4 जून को होने की संभावना है। हालांकि, निजी पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर ने कहा है कि मानसून के तीन दिनों के विचलन के साथ 7 जून को केरल पहुंचने की संभावना है।
मौसम विभाग के बयान में कहा गया है कि प्रायद्वीपीय इलाकों में मानसून की प्रगति थोड़ी सुस्त रहेगी। इस साल जून में देश के मध्य और उत्तरी हिस्सों में गर्म मौसम जारी रहेगा। यह खरीफ की बुवाई के लिए अच्छा नहीं हो सकता है। मानसून पिछले साल 29 मई को, 2021 में 3 जून को, 2020 में 1 जून को, 2019 में 8 जून और 2018 में 29 मई को पहुंचा था। विभाग का कहना है कि केरल में मानसून की शुरुआत के उसके पूर्वानुमान पिछले 18 वर्षों के दौरान 2015 को छोड़कर बाकी वर्षों में सही साबित हुए हैं।