बजट में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के लिए धन आवंटन में कटौती अनेक लोगों के लिए चौंकाने वाला है। इंडिया रेटिंग्स ने भी अपनी एक रिपोर्ट में कहा है की अर्थव्यवस्था, खासकर ग्रामीण इलाकों की स्थिति को देखते हुए मनरेगा के लिए आवंटन घटाना आश्चर्यजनक है। वित्त वर्ष 2022 - 23 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मनरेगा के बजट में 25 फ़ीसदी कटौती का प्रस्ताव रखा है। 2021-22 का संशोधित आंकड़ा 98 हजार करोड़ रुपए का है, जबकि 2022-23 के लिए 73 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
कोविड-19 महामारी के बाद मनरेगा में नाम दर्ज कराने वालों की संख्या बढ़ी है। इसमें ग्रामीण परिवारों को साल में कम से कम 100 दिनों के रोजगार की गारंटी का नियम है। लेकिन अनेक जगहों पर लोगों को सिर्फ 50 दिनों का काम मिल पा रहा है।
पूंजीगत व्यय में फोकस कम रोजगार वाले प्रोजेक्ट पर
बजट में पूंजीगत व्यय यानी कैपिटल एक्सपेंडिचर 35 फ़ीसदी बढ़ाने के प्रस्ताव की काफी सराहना हो रही है, लेकिन इंडिया रेटिंग्स का कहना है कि इसमें फोकस सड़क जैसे कम रोजगार वाले प्रोजेक्ट तथा लंबी अवधि में पूरे होने वाले प्रोजेक्ट पर है। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि राशि का उचित बंटवारा होना चाहिए था। कैपिटल एक्सपेंडिचर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कम अवधि के प्रोजेक्ट के लिए रखा जाना चाहिए था। साथ ही ऐसे प्रोजेक्ट के लिए जिनमें रोजगार अधिक संख्या में निकलते हैं। इससे खपत मांग में कमी से जूझ रही अर्थव्यवस्था को जल्दी पटरी पर लाने में मदद मिलती।
राजस्व व्यय में वृद्धि ज्यादा ब्याज भुगतान के कारण
इंडिया रेटिंग्स का कहना है कि बजट में राजस्व व्यय यानी रेवेन्यू एक्सपेंडिचर 2021-22 के संशोधित अनुमानों की तुलना में सिर्फ 0.9 फ़ीसदी बढ़ाया गया है। इसमें से अगर ब्याज के भुगतान को निकाल दें तो वास्तव में रेवेन्यू एक्सपेंडिचर में 4.2 फ़ीसदी की गिरावट है। इसका मतलब यह है कि ज्यादा रेवेन्यू एक्सपेंडिचर का इस्तेमाल सरकार का ब्याज चुकाने में जाएगा।
कृषि क्षेत्र के लिए प्रावधानों के अच्छे परिणाम निकलेंगे
रेटिंग एजेंसी ने बजट के कुछ प्रावधानों की प्रशंसा भी की है। इसने कहा है कि कृषि और खाद्य प्रसंस्करण के लिए ज्यादा आवंटन, प्राकृतिक खेती, किसान ड्रोन, एग्रीकल्चर स्टार्टअप के लिए फाइनेंसिंग, केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट पर अमल के अच्छे परिणाम निकल सकते हैं। शिक्षा पर खर्च बढ़ाने का समर्थन करते हुए इसने कहा है कि इससे अच्छी क्वालिटी की शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट का विस्तार हो सकेगा।
जीडीपी के अनुपात में टैक्स न बढ़ने की समस्या बरकरार
एजेंसी ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए प्रस्तावित टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम, गांवों में हर घर तक नल से जल पहुंचाने की योजना और इमरजेंसी क्रेडिट गारंटी स्कीम का विस्तार और इसके लिए अलग अतिरिक्त धन आवंटित करने का भी स्वागत किया है। इसने कहा है कि कुछ पुरानी समस्याएं बरकरार हैं। जैसे, जीडीपी के अनुपात में टैक्स। कर सुधारों और टैक्स दरों में बदलाव के बावजूद यह बीते एक दशक से 7 से 7.5 फ़ीसदी पर ही बना हुआ है। इससे अधिक टैक्स जीडीपी अनुपात आखिरी बार 2007-08 में हुआ था।