संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने किसानों की आत्महत्या और कृषि मंत्रालय का बजट खर्च ना कर पाने को लेकर केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की है। एसकेएम ने मंगलवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि मोदी सरकार के शासनकाल (2014-2022) में एक लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या की। दूसरी तरफ, केंद्र सरकार ने पिछले पांच वर्षों में कृषि मंत्रालय को आवंटित 1,05,544 करोड़ रुपये बिना खर्चे वापस लौटा दिए। अगर सरकार इस पैसे का इस्तेमाल करती तो कई किसानो की जान बचाई जा सकती थी।
एसकेएम ने कहा कि कृषि मंत्रालय की "वर्ष 2022-23 के लिए खाते पर एक नजर" शीर्षक वाली रिपोर्ट से पता चला है कि केंद्र सरकार ने 2018-19 से पिछले पांच वर्षों के दौरान 1,05,544 करोड़ रुपये, जो कृषि मंत्रालय को आवंटित किए थे, खर्च किए बिना ही वापस लौटा दिए। उक्त रिपोर्ट के अनुसार, 2018-19 में कृषि मंत्रालय के लिए कुल आवंटन 54,000 करोड़ रुपये था। उस साल 21,043.75 करोड़ रुपये बिना खर्चे वापस लौटाए गये थे। इसके बाद के वर्षों 2019-20 में 34,517.7 करोड़ रुपये, 2020-21 में 23,824.53 करोड़ रुपये, 2021-22 में 5,152.6 करोड़ रुपये और 2022-23 में 21,005.13 करोड़ रुपये वापस लौटाए गये।
कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर स्थायी समिति ने यह भी बताया है कि आवंटित धन का इस तरह लौटना उत्तर पूर्वी राज्यों, अनुसूचित जाति उपयोजना और अनुसूचित जनजाति उपयोजना पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने किसानों को कर्ज से मुक्ति दिलाने का वादा किया था। मोदी सरकार ने पिछले दस साल में बड़े कॉरपोरेट घरानों का 14.56 लाख करोड़ रुपये बकाया माफ कर दिया है। लेकिन किसानों का एक भी रुपये का कर्ज माफ नहीं किया। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2014 से 2022 के बीच 1,00,474 किसानों ने आत्महत्या की। अगर सरकार कृषि मंत्रालय के वापस लौटाए गए पैसे का इस्तेमाल करती तो कई किसानो की जान बचाई जा सकती थी।
किसान पहले से ही लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने, कृषि बुनियादी ढांचे के विकास, सिंचाई के विस्तार और अनुसंधान के लिए आवंटन में वृद्धि की भी मांग कर रहे हैं। लेकिन किसानों के लिए जो बजट आवंटित हो रहा है वो भी खर्च नहीं किया जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने इसे देश के किसानों के साथ विश्वासघात करार दिया है।
एसकेएम ने संकटग्रस्त किसानों के प्रति भाजपा सरकार की असंवेदनशीलता और इसके पीछे की कृषि को कॉरपोरेट्स को सौंपने की मंशा का आरोप लगाया। मोर्चा ने केंद्र सरकार की किसान-विरोधी नीतियों का कड़ा विरोध करते हुए किसानों व आम लोगों से कृषि और देश को बचाने का आह्वान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा देश के विभिन्न किसान संगठनों का साझा मंच है जिसने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था।